बालाघाट
बालाघाट से शिवशंकर पाण्डेय की रिपोर्ट
बिरसा/बालाघाट।अतिनक्सल प्रभावित बिरसा जनपद के मछुरदा, लालपुर और अडोरी ग्रामपंचायत में पेयजल की समस्या से जूझ रहे आदिवासियों की समस्या को समाचार प्रतिनिधि के द्वारा विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया था जिसको गंभीरता से लेकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी अधिकारी बालाघाट अरुण श्रीवास्तव के निर्देश पर बैहर सब इंजीनियर हतेंद्र बागेश्वर के मार्गदर्शन में सुधार कार्य किया गया जिससे जंगलों में निवासरत आदिवासियों की परेशानी दूर हो गयी जिसका श्रेय बैगा आदिवासियों ने समाचार पत्र के प्रतिनिधि को देकर आभार जताया।वहीँ सब इंजीनियर हतेंद्र बागेश्वर का भी कार्य सराहनीय रहा जो स्वयं क्षेत्र में रहकर सुधार कार्य को अंजाम देने में कर्मचारियों का मार्गदर्शन किया।
दो सालों से पानी की टँकी बनी शो पीस
दो सालों से लाखों की लागत से बनकर तैयार नल जल योजना हेतु बनाई गई पानी की टंकी शो पीस बनकर रह गयी है।जिससे नल जल योजना इस क्षेत्र में शुरू होने के पहले ही पूरी तरह ठप है जिसको शुरू करने में न तो विभाग रुचि ले रहा है और न ही ठेकेदार।नल जल योजना का ठेकेदार बिजली वोल्टेज और हैंडपंप में पतला पाइप लगा होने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेता है तो विभाग ठेकेदार के ऊपर आरोप लगाकर इतिश्री कर लेता है।इन दोनों के बीच मे पिस रही है भोली भाली आदिवासी जनता।जो पहले हैंडपंप से पानी निकालकर अपनी प्यास बुझा रहे थे लेकिन शासन की नल जल योजना के कारण इनकी पानी की समस्या कम होने कि बजाय बढ़ गयी है जिससे आदिवासियों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।वही इस मामले में जानकारों का कहना है कि जल्दबाजी मे बनायी गयी पानी की टंकी केवल शो पीस बनकर रह गयी है।अगर यहां पर वोल्टेज की समस्या थी तो पहले इसको दूर करते उसके बाद घर घर नल पहुंचाने की बात करना था लेकिन अपनी पीठ थपथपाने व कमीशन के चक्कर में शासन व विभाग ने आनन फानन में जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की टंकी बनाकर स्वाहा कर दिया जिसका आज कोई उपयोग नही हो रहा है।यही लाखो रुपया स्वास्थ्य या शिक्षा पर कही अन्यंत्र लगाना था जो आज काम देता लेकिन बिना सोचे समझे लाखो का खर्च कर बनाई गई पानी की टंकी केवल देखने के काम आ रही है जिसका जबाबदेह कहीं न कहीं शासन प्रशासन भी है।
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