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Sunday, May 8, 2022

सुरडोंगर (डौण्डी) निवासी गणेशराम मोची के आवासीय मकान को सरपंच व ग्रामवासियों ने जे.सी.बी से तोड़कर गणेश राम, रूखमणी और बच्चों के साथ लाठी डंडे से मार पिट की गई। सूरडोंगर प्रकरण अंततः पहुंचा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर।

 सुरडोंगर (डौण्डी) निवासी गणेशराम मोची के आवासीय मकान को सरपंच व ग्रामवासियों ने जे.सी.बी से तोड़कर गणेश राम, रूखमणी और बच्चों के साथ लाठी डंडे से मार पिट की गई। सूरडोंगर प्रकरण अंततः पहुंचा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर। 




 डौण्डी (सुरडोंगर) :- 

दिनांक 8 मई 2022 को ग्राम सुरडोंगर (डौण्डी) निवासी गणेशराम मोची के आवासीय मकान को  ग्राम पंचायत के सरपंच ,ग्राम समिति और ग्रामवासियों ने जे.सी.बी  से तोड़कर गणेश राम, रूखमणी और बच्चों के साथ लाठी डंडे से मार पिट की गई घसीटा गया गाली गलौज की गई ,जिसकी शिकायत पुलिस थाना डौंडी में की गई,परन्तु अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र न होने का हवाला देकर प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। और जाति प्रमाणपत्र जमा करने के बाद भी अत्याचार निवारण के धाराओं को शामिल नहीं किया गया जिसकी सूचना और न्याय के लिए निवेदन ,मुख्यमंत्री, गृहमंत्री,  अनुसूचितजाति आयोग कलेक्टर, एस.पी., एस. डी. एम., सी. एस. पी., स्थानिय विधायक एवम महिला बाल विकास मंत्री के समक्ष उपस्थित होकर आरोपियों पर एट्रोसिटी अत्याचार के धाराओं में एफ आई आर दर्ज करने का निवेदन किया गया। 



परन्तु उक्त  सभी ने पीड़ित को न्याय देने के बजाय आरोपियों को संरक्षण देकर बचाने और खानापूर्ति के लिए डौंडी थानेदार को सामान्य धाराओं में अपराध पंजीबद्ध करने दबाव बनाया गया और तत्कालीन एस डी एम द्वारा गांव में ही कोर्ट लगाकर आरोपियों को मुचलका जमानत दे दी गई। अनुसूचित जाति आयोग ने मामला के गम्भीरता को देगते हुए निरीक्षण उपरांत जो निर्देश दिया गया था उसका पालन नही किया । उक्त घटना से हुए नुकसान का आकलन ,परीक्षण न किए जाने एवं न्याय प्रदान करने के प्रति,शासन व  जिला प्रशासन की उदासीनता से क्षुब्ध होकर पीड़ित गणेशराम ने न्याय प्राप्त करने हेतु माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में अर्जी दाखिल किया गया ।

देखिये वीडियो किस तरह से मारपीट करके घर को तोड़ा गया ऐसे लोगो के उपर कार्य वाही होना चाहिए।।:-



    जिस पर संज्ञान लेकर माननीय उच्च न्यायालय ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए नोटिस जारी कर यह जानना चाहा है कि जाति प्रमाण जमा करने के दो माह बीत जाने के बाद भी आखिर ऊक्त प्रकरण में क्यों अत्याचार निवारण (एट्रोसिटी एक्ट) के तहत मामला पंजीबद्ध कर कार्यवाही नहीं की गई है  ।

     उपरोक्त मामला की सुनवाई माननीय न्यायाधीश गौतम भादुड़ी की अदालत में किया गया ।।  जिसकी पैरवी हाई कोर्ट अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता, अखिलेश मिश्रा,और दिनेश यादव ने की। 







CNI News दल्ली राजहरा से प्रदीप सहारे

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