बड़े आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका के पीएम ने दी इस्तीफा
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
कोलंबो - श्रीलंका में आजादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने आज प्रधानमंत्री पद से अपना इस्तीफा श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि विपक्ष की अंतरिम सरकार बनाने की मांग के आगे झुकते हुये राजपक्षे ने यह कदम उठाया है। इससे पहले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा इस द्वीपीय देश में आर्थिक संकट को लेकर विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक झड़पों के बाद दिया है। सोमवार को राजधानी कोलंबो में आर्थिक संकट को लेकर विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इसके साथ ही श्रीलंका में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने में सहायता के लिये सैन्य दल को विरोध स्थल पर तैनात किया गया है। इसके पहलै शुक्रवार को एक विशेष कैबिनेट बैठक में राष्ट्रपति ने शुक्रवार मध्यरात्रि से इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। यह दूसरी बार है जब श्रीलंका में लगभग एक महीने की अवधि में आपातकाल घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद महिंदा राजपक्षे ने आम जनता से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि जब भावनायें उच्च स्तर पर चल रही हैं , हमें ये याद रखना चाहिये कि हिंसा केवल हिंसा को जन्म देगी। महिंदा राजपक्षे ने कहा है कि हम जिस आर्थिक संकट में हैं , उसके समाधान के लिये ये प्रशासन प्रतिबद्ध है। बताते चलें कि राजधानी कोलंबो में भड़की हिंसा के बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। दूसरी तरफ विपक्षी दल भी लगातार पीएम के इस्तीफे और संयुक्त सरकार के गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इससे पहले महिंदा राजपक्षे ने कहा था कि वे कोई भी बलिदान देने के लिये तैयार हैं। राजपक्षे के इस बयान के बाद से ही उनके इस्तीफे की अटकलें लगाईं जाने लगी थीं। पीएम महिंदा ने श्रीलंकाई मंत्रिमंडल को पहले ही अपने इस्तीफे के बारे में सूचित कर दिया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिये भुगतान नहीं कर पा रहा है। पिछले महीने 09 अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं , क्योंकि सरकार के पास आयात के लिये धनराशि खत्म हो गई है और आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।
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