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Wednesday, July 20, 2022

रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति

 


रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति

अरविन्द तिवारी रिपोर्ट

कोलंबो (श्रीलंका) -आर्थिक संकट , राजनीतिक उथल-पुथल और देश में फैले अराजकता के माहौल के बीच श्रीलंका की संसद में 44 साल में पहली बार आज सीधे राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। मतदान के चलते कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में थे। एक ओर जहां राष्ट्रपति के चुनाव के लिये संसद में वोटिंग हो रही थी। वहीं दूसरी ओर कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ जनता का मौन विरोध प्रदर्शन चल रहा था। राष्ट्रपति के लिये हुये त्रिकोणीय मुकाबले में रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति चुने गये हैं। कुल 225 सदस्यीय सदन में रानिल विक्रमसिंघे को 134 सांसदों का समर्थन मिला है। उनके प्रतिद्वंदी दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट ही मिले। राष्ट्रपति चुनाव में तीसरे उम्मीदवार अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ तीन वोट ही मिले। इससे पहले राष्ट्रपति पद की रेस में प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा का नाम भी चर्चा में आ रहा था , लेकिन उन्होंने खुद ही उम्मीद्वार के तौर पर चुनाव से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया था। बताते चलें बीते दिनों सियासी उथल-पुथल के बीच विक्रमसिंघे ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। गोटबया राजपक्षे के देश छोड़कर भागने के बाद विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभा रहे थे। चुनाव जीतने के बाद नवनियुक्त राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने देश की जनता को संबोधित करते हुये कहा कि देश बहुत मुश्किल स्थिति में है , हमारे सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। वास्तव में यहां के हालात भी ऐसे हैं कि अब नये राष्ट्रपति के रूप में विक्रमसिंघे के सामने सबसे बड़ी चुनौती श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने की होगी। अनाज से लेकर दूध-दवा तक की कमी से श्रीलंका जूझ रहा है। यहाँ हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि लोग सड़कों पर विरोध करते नजर आ रहे हैं। सरकारी दफ्तरों पर कब्जा कर रहे हैं। ऐसे में नये राष्ट्रपति के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां हैं। विक्रमसिंघे के कंधों पर अब देश को अपूतपूर्व राजनीतिक एवं आर्थिक संकट से उबारने की जिम्मेदारी होगी। रानिल विक्रमसिंघे का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म होगा , वे गोटबाया राजपक्षे के बचे हुये कार्यकाल को पूरा करेंगे।


कौन हैं विक्रमसिंघे


श्रीलंका की एक प्रभावी सिंहली परिवार में जन्‍में विक्रमसिंघे पेशे से एक वकील हैं। सिर्फ 28 साल की उम्र में उन्‍हें उप-विदेश मंत्री का पद दिया गया था। उनकी काम करने की क्षमता ने बहुत कम समय में कई नेताओं को प्रभावित किया था। पांच अक्‍टूबर 1977 को विक्रमसिंघे को कैबिनेट पद मिल गया और वो युवा मामलों के मंत्री बने। वर्ष 1980 की शुरुआत तक उनके पास ये पद रहा। विक्रमसिंघे राजनीति में आगे बढ़ते जा रहे थे। वर्ष 1993 में तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति रानासिंघे प्रेमदासा को एक आत्‍मघाती हमले में लिट्टे आतंकियों ने मार दिया था। उनकी मौत के बाद प्रधानमंत्री डीबी विजीतुंगा को कार्यवाहक राष्‍ट्रपति बनाया गया। इसके बाद 07 मई 1993 को विक्रमसिंघे को पहली बार देश का प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया गया था।रानिल विक्रमसिंघे को राजनीति का लंबा अनुभव है। वे श्रीलंका के छह बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। ये राजनीति में आने से पहले एक पत्रकार और वकील भी रह चुके हैं। विक्रमसिंघे इसके पहले दो बार राष्‍ट्रपति का चुनाव हार चुके हैं और अब वे देश के राष्‍ट्रपति बने हैं।गौरतलब है कि इडससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के विवादास्पद इस्तीफे के बाद खाली हुये पद पर रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री बनाया गया था। तब उन्होंने जोर देकर कहा था कि उनके नेतृत्व में श्रीलंका के संबंध भारत के साथ और बेहतर होंगे। हालांकि बिगड़ते हालात के बीच उन्हें इस पद से जल्द ही इस्तीफा देना पड़ा। प्रधानमंत्री के तौर पर वो भारत का चार बार दौरा कर चुके हैं। अक्टूबर 2016 , अप्रैल 2017 , नवंबर 2017 और अक्टूबर 2018 में वे भारत आये थे। उनके शासनकाल के दौरान ही पीएम मोदी ने भी दो बार श्रीलंका का दौरा किया था। उनकी सरकार में ही भारत ने श्रीलंका की 1990 अंबुलेन्स सिस्टम सेट अप करने में मदद की थी।

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