राजधानी से मॉनीटरिंग... आग लगते ही विभाग को मिल जाती है सूचना
आगजनी से निपटने 170 फायर वाचर तैनात, सेटेलाइट से हो रही है निगरानी
खैरागढ़ वनमंडल में 1 लाख 31 हजार हेक्टेयर से अधिक वनक्षेत्र, 170 बीट, 40 सर्किल
वन क्षेत्रों में गर्मी में लगने वाली आग से सुरक्षा के लिए वन विभाग की टीम अलर्ट हो गई है। वन विभाग की नई तकनीक से अब वनों मेें लगने वाले आग की सूचना सेटेलाइट के माध्यम से अधिकारियों तक पहुंच रही है। सेटेलाइट सिस्टम से वनों की निगरानी हो रही है। हर साल गर्मी के दौरान वनमंडल के जंगलों में आग से विभाग को लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है।
खैरागढ़. हर साल आग रोकने, वनों की आग से सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय किए जाते हैं। हाईटेक पद्धति से वनों की सुरक्षा अब राजधानी स्तर पर सेटेलाइट के माध्यम से होती है। किसी भी क्षेत्र में आग लगने की जानकारी सेटेलाइट से मिलते ही राजधानी में विभागीय कार्यवाही त्वरित रूप से प्रारंभ हो जाती है। संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को इसकी सूचना देकर आग रोकने के उपाय किए जाते हैं। इससे वनों में लगी आग में नियंत्रण पाने में समय कम लगता है।
सवा लाख हेक्टेयर से अधिक है जिले में वनक्षेत्र: खैरागढ़ जिले में स्थित वनमंडल में वनों का क्षेत्रफल काफी बड़ा है। जिले के महाराष्ट्र, मप्र सीमा से सटे जिले के वन क्षेत्र का कुल दायरा 1 लाख 31 हजार 415 हेक्टेयर है। वनविभाग ने इन वन क्षेत्रों को 170 बीटों में बांटा है । इसमें खैरागढ़, छुईखदान, साल्हेवारा, डोंगरगढ़, बोरतलाव सहित अन्य क्षेत्र शामिल हैं। खैरागढ़ वनमंडल में 170 बीट के अलावा 40 सर्किल बनाए गए हैं। औसतन एक सर्किल में चार से पांच बीट शामिल किए गए हैं। इन बीटों में आगजनी रोकने व्यापक उपाय के अलावा सेटेलाईट से मिलने वाली सूचना के आधार पर कार्रवाई तय की गई है। फायर वाचर आग लगते ही आग पर काबू पाने के लिए काम पर लग जाते हैं।
स्थानीय युवकों को सौंपी गई है जिम्मेदारी
वन क्षेत्रों में गर्मी में लगने वाली आगजनी की घटना रोकने हर बीट में स्थानीय युवा को फायर वाचर की जिम्मेदारी दी गई है । वनमंडल में 170 फायर वाचर तैनात किए हैं। जो स्थानीय गांव के होने के साथ उस क्षेत्र के जानकार भी हैं। राजधानी से आगजनी रोकने में मदद करने वाली सेटेलाइट से वन क्षेत्रों में आग की सूचना जगह सहित कम्पार्ट मेंट नंबर के आधार पर मिलती है जो आगजनी को जल्द रोकने में व्यापक मदद करती है। फायर वाचर को संबंधित बीट की जानकारी रखने, आगजनी रोकने सहित अन्य जानकारी जुटाने की जवाबदारी है।
बांस के जंगल में आग लगने का खतरा ज्यादा
गर्मी में वन क्षेत्रों में आगजनी की घटना मानवीय और प्राकृतिक दोनाें रूप से होती है। जंगलों के बीच पिकनिक स्पॉट, घूमने फिरने वाली जगहाें पर पहुंचने वाले लोग वहाँ जलती लकड़ी, माचिस, तीली छोड़ते हैं। इससे व्यापक रूप से आग लगती है तो दूसरी ओर खैरागढ़ वनमंडल का आधे से ज्यादा वन क्षेत्र बांस उत्पादन के लिए उपयुक्त है। बांस के बहुतायत उत्पादन के चलते बांस के पेड़ों में भी गर्मी के दौरान आगजनी की घटना सामने आती है।
वन क्षेत्रों में लगने वाली आगजनी रोकने सेटेलाइट से इसकी निगरानी हो रही है। बीट में स्थानीय लोगों को फायर वाचर के रूप नियुक्त कर आगजनी रोकने प्रभावी उपाय किए जाते हैं। सेटेलाइट से निगरानी के चलते कंपार्ट मेंट की समय पर सूचना मिलने से आगजनी पर त्वरित राहत मिल रही है।
एएल खूंटे, उपवनमंडलाधिकारी वनमंडल खैरागढ़
सीएनआई न्यूज़ खैरागढ़ से सोमेश कुमार की रिपोर्ट
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