सी एन आइ न्यूज -पुरुषोत्तम जोशी ।
मां के मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा को शांति और कल्याण का प्रतीक माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा की सवारी शेर है। मां के दस हाथ है जिसमें कमल और कमंडल के अलावा अस्त-शस्त्र लिए हुए हैं। इसके साथ ही माथे पर अर्धचंद्र धारण किए हुए है। भक्तों के लिए मां का ये रूप सौम्य और शांत है।
मां चंद्रघंटा को खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसके
अलावा आप मां चंद्रघंटा को पंचामृत, चीनी या मिश्री का भोग भी लगा सकते हैं।
मां चंद्रघंटा का यह स्वरूप शांतिदायक और परमकल्याणकारी है।
श्रृद्धा एवं विश्वास के साथ मां की पूजा अर्चना करने से
मां अपने भक्तों के कष्टों का निवारण शीघ्र ही कर देती है।
मां की आराधना करने से भक्त को सुख संपन्नता, चिरायु, आरोग्य होने का वरदान मिलता है,ओर समस्त पाप एवं बाधाएं नष्ट हो जाती हैं ।
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