पिथौरा_ ग्राम करिया धुरवा अर्जुनी में झरिया यादव समाज द्वारा द्वारा आयोजित श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं सामाजिक सम्मेलन में नीलांचल सेवा समिति के प्रतिनिधि शामिल हुए l
ग्राम-करिया धुरवा अर्जुनी में झेरिया यादव समाज, कौड़िया राज पिथौरा द्वारा आयोजित श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं सामाजिक सम्मेलन में नीलांचल सेवा समिति के संस्थापक एवं नगर पंचायत बसना पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता डॉ. सम्पत अग्रवाल जी के प्रतिनिधि मुख्य अतिथि नीलांचल सेवा समिति पिथौरा सेक्टर प्रभारी विक्की सलूजा साथ में छिबर्रा सेक्टर प्रभारी चमन सेन, पिथौरा सेक्टर सह प्रभारी जतिन ठक्कर शामिल हुए तथा श्री कृष्णा जी का पूजा अर्चना कर क्षेत्र की तरक्की व खुशहाली की कामना की।*
*मुख्य अतिथि विक्की सलुजा ने क्षेत्रवासियों को श्री कृष्णा जन्माष्टमी की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। तथा उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत अपनी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध रहा है, भारत में त्योहारों को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार हिन्दूओं का प्रमुख त्यौहार होता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को रक्षाबंधन के बाद कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण देवकी के आठवें पुत्र थे। श्री कृष्ण का पालन पोषण माता यशोदा और नंद बाबा के देखरेख में हुआ। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। इस दिन मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के मूर्तियों को सजाए जाते हैं और उन्हें झूला झूलाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण को गोविंद, कन्हैया, कान्हा, माखन चोर, गोपाल, बाल गोपाल, और लगभग 108 नामों से जाना जाता है। श्री कृष्ण जी के हाथों में एक बांसुरी और सिर पर एक मोर का बहुत ही सुंदर पंख लगा होता है। इस दिन को भारतवासी कई वर्षों से मनाते आए हैं, हिंदू धर्म में इस त्योहार का बहुत महत्व है। हमारे समाज में श्री कृष्ण के माता देवकीनंदन का बहुत महत्व है क्योंकि वह यूगों से पूजे जाते हैं, कृष्ण जी के कई किस्से हमने महाभारत और कृष्ण लीला में सुना और देखा है। उनके किस्से और जीवन से हमें यह शिक्षा मिलता है, हमें अपने कर्तव्य पर डटे रहना चाहिए, और उसको अधिक महत्व देना चाहिए। कृष्ण जी के जीवन में जन्म से लेकर कई बाधाएं आई और उन्होंने उनका सामना डटकर किया और अपने कर्तव्य का पालन किया। श्री कृष्ण जी और उनके गरीब मित्र सुदामा, उनकी मित्रता ,द्रोपदी की रक्षा करना, और उनका बचपन का नटखटपन जीवन में आने वाली अनेकविपदाओं का उन्होंने डटकर सामना किया, कहा जाता है कि श्री कृष्ण जी भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक माने जाते हैं। अष्टमी तिथि को जया तिथि भी कहते हैं, यानी जीत दिलाने वाली तिथि। इस दिन उपवास के साथ भगवान की पूजा करने से सभी कामों में जीत मिलती है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के दिन ही रात को 12:00 बजे हुआ था। यह हिंदुओं का लोकप्रिय त्यौहार है, जो बहुत ही धूमधाम और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन मध्यरात्रि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के जेल में हुआ था। श्री कृष्णा जी ने हमें यह सिखाया कि हमारे आसपास का वातावरण कितना भी नकारात्मक हो पर हमें सभी संकटों का धैर्य और समझदारी से सामना करना चाहिए, और सकारात्मक सोच के साथ अपने कर्तव्य को महत्व देना चाहिए।*
उक्त कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम सुआ,डांस, मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस अवसर पर जगदीश प्रधान, ललित पटेल, समाज प्रमुख संतु राम यादव, कलश राम यादव, नवीन कुमार यादव, घासी राम यादव, बाबूलाल यादव, प्रीतम सिंग यादव,अश्विनी साहू, शोभित साहू, योगेश यादव, महावीर यादव, धनजंय यादव, राजाराम यादव, मेंगसिंग यादव, नकुल यादव,कार्तिक राम यादव सहित बड़ी संख्या माता बहनें मौजूद रहें।
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