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Monday, October 16, 2023

भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं माता बुंदेलहीनपाठ माता की कृपा से गांव में नहीं पड़ा अकाल का साया हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना बुंदेलहीन पाठ मंदिर आदी काल से माता निवास कर रही पहाड़ी पर विजय कुमार गुप्ता


भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं माता बुंदेलहीनपाठ


माता की कृपा से गांव में नहीं पड़ा अकाल का साया

 हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना बुंदेलहीन पाठ मंदिर

आदी काल से माता निवास कर रही पहाड़ी पर

विजय कुमार गुप्ता

पिथाैरा। बुंदेली के बुंदेलहीन पाठ माता मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।


घने जंगलों से घिरा यह क्षेत्र माँ शक्ति की एक रूप भक्तों के मनोकामना पूर्ण करने वाली बुंदेलहीन पाठ माता का निवास स्थल है। हर नवरात्रि पर यहां भक्त मां के चरणों में शीश झुकाकर मन्नत मांगते हैं, और मां उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं।

पिथाैरा से दक्षिण दिशा में 15 किमी की दूरी पर स्थित बुदंेली गांव में मां बुंदेलनहीन का मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। शारदीय नवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। माता के दरबार में मांगी गई हर मुराद भी पूरी होती है। बुंदेलहीन माता मंदिर में शारदीय नवरात्र पर पूजा-पाठ होता है। मन्दिर में मां के दर्शन और पूजन के लिए आस-पास के ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी श्रद्धालुओं का आगमन होता है। विशेषकर शारदीय नवरात्र में भीड़ अधिक होती है।

 घने जंगलों के बीच पहाड़ पर है देवी का मंदिर

ऐसी मान्यता है कि, मां की आराधना कर जो भी मन्नतें मांगता है, उसकी मुरादें मां अवश्य पूर्ण करती हैं। कालांतर में यहां विशाल जंगल हुआ करता था। गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि राजा महाराजा के पूर्वज यहां रूककर माता की पूजा-अर्चना करते थे। माता बुंदेलहीन पाठ के नाम ही गांव का नाम पड़ा है। यहां पूजा-अर्चना करने आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि, उनकी इस मंदिर में बड़ी आस्था है। वे लोग हर नवरात्रि पर मां बुंदेलहीन देवी के दरबार में मत्था टेकने के लिए आते हैं। माता की स्थापना सदियों पुराना है। बरसों से यहां पूजा-अर्चना के लिए आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि, मां के दरबार में भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।

00 सूखा, अकाल से बचाती है माता

क्षेत्र में जब भी अकाल की स्थिति उत्पन्ना होती है, तो बुंदेली सहित आसपास के दर्जनों गांव के ग्रामीण माता बुंदेलहीनपाठ की विशेष पूजा कर मां को प्रसन्न करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जब-जब अकाल का साया गांव मंे पड़ा, तब-तब माता की पूजा के बाद बारिश हुई है। अकाल से प्रभावित फसलों को जीवन मिलता है।

पर्यटन स्थल के रूप में हो सकता है विकसित

पिथाैरा से 15 किमी दूर ग्राम बुंदेली स्थित माता बुंदेलहीनपाठ मंदिर सुरम्य स्थान पर स्थित है। घने जंगल, पहाड़ से आसपास का दृश्य बेहद मनोहारी दिखाई देता है। यहां ज्योत कक्ष, श्रद्धालुओं के लिए विश्राम भवन, बच्चों के गार्डन की दरकार है। शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान दें, तो मंदिर परिसर का विकास हो सकता है। ग्रामीणों ने स्वयं व जनप्रतिनिधियों के सहयोग से माता के मंदिर का निर्माण किया है।

 संचालन समिति बनाया गया

मंदिर विकास के लिए मंदिर संचालन समिति का गठन भी किया गया है। समिति द्वारा प्रतिवर्ष शारदीय तथा चैत्र नवरात्र में मंदिर परिसर का रंग-रोगन, नवरात्र की तैयारी के संबंध में पूरी व्यवस्था का संचालन किया जाता है। संचालन समिति निर्माण के बाद अध्यक्ष पूनम मानिकपुरी, हीराधर साहू तथा विमलदास महंत कार्यरत हैं।

 लगातार बढ़ रही ज्योत की संख्या

मंदिर में सबसे पहले 9 ज्योत प्रज्ज्वलित की गई थी। जो वर्तमान में 400 तक जा पहुंची है। प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना ज्योत प्रज्ज्वलित प्रज्जवलित किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में ग्राम बुंदेली के दिलीप साहू, कृपाराम निषाद, नरेश सिन्हा, किशोर सोनवानी, निर्मल दास, शंकर दीवान, गनपत निषाद, घनश्याम साहू, राकेश शर्मा, आशीष दीवान, पुरोहित कृपा निषाद आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


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