शासकीय कर्मचारियों को केंद्र के समान डीए देना चाहते है भूपेश बघेल
पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह के डीए/डीआर देने के बयान का असर
अचानक एक्स में पोस्ट में अनुमति निर्देश में पेंशनरों का जिक्र नहीं
अधिकारियों को दिया निर्देश कि निर्वाचन आयोग से अनुमति लें
रायपुर छत्तीसगढ़। पुर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह द्वारा राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों को दीवाली के पहले डीए/डीआर देने के लिए दिए गए बयान का जबरदस्त असर दिखाया और विधान सभा चुनाव का प्रथम चरण 7 नवंबर को 20 सीटों पर सम्पन्न होने के बाद मुख्यमंत्री अचानक नींद से जाग उठे हैं और आज एक्स में पोस्ट कर बताया है कि *"हम छत्तीसगढ़ के शासकीय कर्मचारियों को केंद्र के समान डीए देना चाहते हैं। इसके लिए अधिकारियों को निर्वाचन आयोग से विधिवत अनुमति प्राप्त करने हेतु निर्देश दिया है"* बहुत देर कर दी सरकार आते आते बाली कहावत को उन्होंने चरितार्थ किया है। *यह भी यक्ष प्रश्न है कि आचार संहिता में क्या केयर टेकर मुख्यमंत्री इस तरह के निर्देश देकर सार्वजनिक घोषणा कर सकते हैं।* चलो हमें क्या यह राजनैतिक दलों के सोचने का विषय है हमको अपने एरियर सहित जुलाई 23 से डीए मिलना चाहिए। मगर सवाल यह भी है क्या ? पेंशनरों के लिए अनुमति नहीं मांगी जा रही है। उनके ट्वीट से तो यही लगता है कि धारा 49(6) के बहाने पेंशनरों के डीआर लटकाने की योजना तो नहीं है।
छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व कर्मचारी नेता तथा सेवानिवृत बुजुर्ग पेंशनरों के संगठन के प्रमुख राष्ट्रीय तथा प्रांतीय पदाधिकारी वीरेन्द्र नामदेव ने राज्य में केन्द्र के समान जुलाई 23 से बकाया 4% प्रतिशत डीए/डीआर लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेने ओर आदेश जारी करने में विलम्ब करने को लेकर मंत्रालय के जिम्मेदार अधिकारियों पर भूपेश सरकार को विधान सभा चुनाव में नुकसान पहुंचा कर हराने का षडयंत्र रचने का संदेह व्यक्त किया। तब जाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अचानक एक्स में पोस्ट कर उक्त जानकारी दिया है
जारी विज्ञप्ति में उन्होंने आगे बताया है कि राजस्थान में भी विधान सभा चुनाव प्रक्रियाधीन है। वहां पर चुनाव आयोग से अनुमति लेकर केंद्र के समान जुलाई 23 से 4% प्रतिशत कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ता (डीए/डीआर) देने का 31/10/23 को आदेश जारी किया जा चुका है, वेतन/पेंशन में भुगतान हो जाने का भी समाचार है। राजस्थान के केयर टेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी लाभ लेने आचार संहिता का परवाह न करते हुए खुद सोशल मीडिया एक्स के माध्यम से चुनाव आयोग से अनुमति मिलने की जानकारी पोस्ट कर सार्वजनिक रूप से सूचना सन्देश प्रसारित किया है। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य में विगत 5 साल से तरसा तरसा कर करोड़ों रुपए एरियर को हजम कर विलम्ब से डीए/डीआर भुगतान किया जाता रहा है। इससे परेशान कर्मचारी संघों के नेता विधान सभा आचार संहिता के दौरान केन्द्र द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों के 20अक्टूबर और पेंशनरों के लिए 27 अक्टूबर 23 को आदेेश जारी होने से एरियर सहित 4% प्रतिशत डीए/ डीआर देने के आदेश जारी करने पर तुरंत मुख्य सचिव से सीधे भेंट कर राजस्थान की तरह चुनाव आयोग से अनुमति लेकर डीए/ डीआर आदेश जारी करने की मांग पर मुख्यसचिव ने भरोसा दिया कि इस बारे में प्रयास करेंगे। परंतु विधान सभा चुनाव का 7 नवंबर 23 को प्रथम चरण के मतदान निपटने तक चुनाव आयोग से अनुमति और डीए डीआर के आदेश का अता-पता नहीं होने सभी हैरान हैं और संदेह व्यक्त किया है कि यह मंत्रालय के जवाबदार अधिकारियों द्वारा जानबूझकर कांग्रेस पार्टी को राज्य में हराने का प्रयास तो नहीं है क्योंकि पांच साल से डीए/ डीआर के भुगतान को लेकर नाराज कर्मचारियों के लिए यह रवैया आग में घी डालने जैसा होगा और विधान सभा चुनाव में असर तो जरूर डालने की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री पर भी अचानक असर हुआ। उसी का परिणाम उनका सोशल मीडिया का सार्वजनिक संदेश है।
जारी विज्ञप्ति में देर आए दुरुस्त आए कहते हुए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताते हुए पेंशनरों और परिवार पेंशनरों के डीआर पर वस्तुस्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
वीरेन्द्र नामदेव
9826111421
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