भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक है - - आचार्य नंदकुमार शर्मा
( नियति से कोई भी नहीं जीत सकता)
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तिल्दा नेवरा - - समीपस्थ ग्राम जोता मे चल रही भागवत कथा के पांचवे दिन भागवत आचार्य श्रद्धेय पंडित नंदकुमार शर्मा जी, निनवा वाले ने ईश्वर के अवतार पर व्याख्या करते हुए कहा कि जब-जब धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है,
तब तब भगवान का किसी न किसी रूप में अवतार होता है। जिससे असुरों का नाश होता है और अधर्म पर धर्म की विजय। भगवान चारों दिशाओं के कण-कण में विद्यमान हैं। इन्हें प्राप्त करने का मार्ग मात्र सच्चे मन की भक्ति है। उन्होंने कहा कि संस्कारों के बिना कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं है।इंसान की सुंदरता शरीर से नहीं, बल्कि उनके चरित्र और वाणी से होती है! इसीलिए व्यक्ति को अपनी वाणी और चरित्र की सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए. किसी भी व्यक्ति में बाहरी सुन्दरता के साथ-साथ आन्तरिक सुन्दरता होना भी आवश्यक है।उन्होने कहा कि मनुष्य की सुंदरता का आकलन उनकी वाणी, विचार और स्वभाव से होता है! किसी भी इंसान को महान बनाने मे उसकी सोच और विचारधारा अधिक महत्त्वपूर्ण होती है, ना कि उसका शरीर! आचार्य शर्मा ने कहा कि नर हो या नारी सभी अपने सांसारिक चित्र को संवारने मे लगे है, चरित्र को संवारने की चिंता किसी को नहीं है! ईश्वर हमारे शरीर की सुंदरता को नहीं देखते, वह तो इंसान की भावना और चरित्र को देखता है! उन्होने कहा कि सुंदर होना कोई बुरी बात नहीं परंतु शरीर सुंदर होने के साथ-साथ हमें एक अच्छा इंसान भी बनना चाहिए। चरित्र अच्छा हो और सीधा-साधा मन हो तो आप सबको जीत सकते है। हमारे संस्कार हमें अंदर से सुंदर बनाते हैं और इन संस्कारों के बिना तो हमारी ऊपरी सुंदरता किसी काम की नहीं है।इंसान का रंगरूप आज नहीं तो कल उसका साथ छोड़ ही देता है। उम्र के साथ साथ आपके चेहरे की रंगत बदल जाती है। आचार्य जी ने भगवान राम के जन्म की कथा बतायी और कहा कि आज समाज के लोगों के आचरण में जो मिलावट आई है ऐसे में भगवान राम के आचरण से हमें पवित्रता की सीख लेनी चाहिए. किसी भी मुश्किल परिस्थिति में भगवान राम ने अपना धैर्य नहीं खोया है। उन्होनें हर परेशानी में धैर्य से काम लिया है इसलिए हमें भगवान राम की तरह जीवन की हर मुसीबत मेंं शांति से कार्य करना चाहिए।
भगवान श्री राम ने कभी भी नियति को बदलने की कोशिश नही की,जो नियति में लिखा हुआ है हमें वह स्वीकार करना चाहिए क्योंकि नियति से कोई भी नही जीत सकता! भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक है । उन्होंने कहा कि मनुष्य संसार में आकर मायारूपी जाल में फंसकर ईश्वर को भूल जाता है और असत्य के मार्ग पर चलकर बुराइयों में फंस जाता है। जिसका परिणाम उसे भुगतान पड़ता है। जीव को मानव जीवन मुश्किल से मिलता है। मानव जीवन में हर व्यक्ति को सत्य के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। सत्य पर चलने वाले प्राणी को मृत्यु के बाद भी समाज याद करता है, असत्य पर चलने वाले का अंत बुरा होता है। उन्होने कहा परिदृश्य अतीत का हो या वर्तमान का, जनमानस ने राम के आदर्शों को खूब समझा-परखा है राम का पूरा जीवन आदर्शों, संघर्षों से भरा पड़ा है। राम सिर्फ एक आदर्श पुत्र ही नहीं, आदर्श पति, भाई और राजा भी थे। जो व्यक्ति संयमित, मर्यादित और संस्कारित जीवन जीता है, निःस्वार्थ भाव से उसी में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों की झलक परिलक्षित हो सकती है। धर्म रक्षा हेतु ईश्वर का अवतार होता है. आगे आचार्य जी भगवान कृष्ण के जन्म की कथा बतायी! कृष्ण जन्म की कथा मे कथा पंडाल मे बैठे सभी श्रद्धालूगण गदगद और रोमांचित होकर कृष्ण जन्मोत्सव मे झूम उठे.. कथा के पांचवे दिन केबिनेट मंत्री माननीय टंकराम वर्मा जी ( खेल, युवा और राजस्व मंत्री छः ग. शासन ) कथा मे शामिल हुए.. साथ मे राम पंजवानी जी (भाजपा जिला कोषाध्यक्ष, ) यशवंत वर्मा जी ( सरपंच ग्राम कुंदरू), सुरेश वर्मा , ( शहर मंडल अध्यक्ष), गिरीश साहू , ( युवा मोर्चा अध्यक्ष), श्रीमती अनीता रमेश ( सरपंच ग्राम जोता), देवेन्द्र वर्मा ( उप सरपंच), संतोष साहू, राधेश्याम वर्मा आदि सभी वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे
C N I न्यूज से अजय नेताम की रिपोर्ट
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