मतदाता मौन है...कि महासमुंद का अगला सांसद कौन है....
पिथौरा महासमुद।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में महासमुंद संसदीय सीट शुरू से ही हाई प्रोफाइल सीट रही है विद्या चरण शुक्ल बृजलाल वर्मा अजीत जोगी पवन दीवान श्याम चरण शुक्ल जैसे दिग्गज नेताओं ने यहां का प्रतिनिधित्व किया है
इस मर्तबा भी पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में छत्तीसगढ़ से एक बड़ा चेहरा ताम्रध्वज साहू के मैदान में होने से राजनीतिक प्रेक्षकों की निगाहें अनायास ही महासमुंद पर टिकी हुई है तीन जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्र तक विस्तारित महासमुंद संसदीय क्षेत्र में दूसरे चरण के मतदान के तहत आज वोटिंग संपन्न होने जा रही है किंतु प्रधानमंत्री मोदी की धमतरी में आयोजित सभा को अपवाद स्वरूप छोड़ दें तो पूरे चुनाव अभियान में मतदाता को जोड़ने में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सफल नहीं हो पाए हैं। राज्य की सभी 11 सीटों की तरह ही महासमुंद में भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है लेकिन मतदाता पूरी तरह मौन है मतदाता का यह मौन ऊंट को किस करवट बैठाएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि राम मंदिर और मोदी लहर के कारण भाजपा जीत के प्रति आश्वश्त जरूर नजर आ रही है लिहाजा ताम्रध्यक्ष साहू के मैदान में उतरने से चुनाव अधिक दिलचस्प हो गया है।
सन 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने चुन्नीलाल साहू तो कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू को मैदान में उतारा था दोनों ही पार्टियों ने साहू प्रत्याशियों पर दाव लगाया था संसदीय चुनाव में पहली बार भाग्य आजमा रहे चुन्नीलाल साहू ने दिग्गज कांग्रेसी नेता को पटकनी दी थी उन्ही चुन्नीलाल साहू की इस पर भाजपा ने टिकट काट दी और अपना प्रत्याशी बनाया पूर्व विधायक और जिला पंचायत सदस्य रही रूप कुमारी चौधरी को श्रीमती चौधरी भाजपा की राजनीति का सक्रिय चेहरा है और किसी परिचय का मोहताज नहीं है दूसरी ओर कांग्रेस ने जातीय समीकरण को साधते हुए ताम्रध्वज साहू को टिकट दे दी जो पूर्व में दुर्ग से सांसद रह चुके हैं और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री रहे हैं विदित है कि महासमुंद लोकसभा में साहू मतदाताओं की बहुलता है यही एक वजह है जो भाजपा की जीत की राह में कठिनाई पैदा कर सकती है यह जरूर है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हुए ध्रुवीकरण और मोदी लहर के कारण भाजपा जीत के प्रति पूरी तरह आश्वश्त है।
महासमुंद जिला की चार विधानसभा सीटों में दो खल्लारी और सराईपाली में कांग्रेस का कब्जा है जबकि दो विधानसभा सीटों महासमुंद और बसना में भाजपा ने जीत का सेहरा बांध रखा है मोटे तौर पर देखा जाए तो मामला फिफ्टी- फिफ्टी का है लेकिन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की तासीर अलग-अलग होती है छत्तीसगढ़िया मतदाता ने समय-समय पर अपने जागरूक होने और राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है अक्सर जैसा होता है वैसे ही मतदाता इस बार भी खामोशी के साथ बैलट यूनिट पर अपनी उंगलियों से मतदान तो करेगा और 4 जून को प्याली में आए तूफान का इंतजार सबको रहेगा।
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.