वेद व्यास ने की थी देवी भागवत पुराण की रचनाः संस्कार ही सही काम करने के लिए प्रेरित करते हैं, इसलिए संतान को अच्छे संस्कार देते रहना चाहिए द्वितीय दिवस - कथा वाचक व्यास पं. श्रीहरि जी महाराज
दमोह मध्यप्रदेश। स्थानीय शिव शनि हनुमान मंदिर एस.पी.एम. नगर में 20 नवम्बर 2024 से 28 नवम्बर 2024 तक चलने वाली श्रीमद् देवी भागवत कथा पुराण एवं गौतम परिवार द्वारा आयोजित।
इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा की जा रही हैं।
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा के द्वितीय दिवस कि कथा में कहॉ द्वापर युग में राजा परीक्षित की मृत्यु सांप के डंसने से हो गई थी। परीक्षित के पुत्र राजा जनमेजय ने अपने दुखों को दूर करने के लिए और परीक्षित की आत्मा के मोक्ष के लिए देवी भागवत पुराण सुना था। वेद व्यास जी ने जनमेजय को नौ दिनों तक देवी कथा सुनाई। नौ दिनों के बाद कथा समाप्त हो जाने पर, यज्ञ किया गया, इसके बाद परीक्षित की आत्मा को मोक्ष मिल गया था और जनमेजय का मन शांत हो गया था। ये बात देवी भागवत पुराण की शुरुआत के श्रीमद् देवी भागवत माहात्म्य अध्याय में लिखी है। इस अध्याय में सुत जी और अन्य ऋषियों की बातचीत है। सुत जी ऋषियों से कह रहे हैं, महाभारत में श्रीकृष्ण स्यमंतक मणि की चोरी का और प्रसेनजित की हत्या का आरोप लगा था। इन आरोपों को झूठा साबित करने के लिए श्रीकृष्ण प्रसेन की खोज में जंगल में गए थे। जब काफी दिनों तक श्रीकृष्ण लौटकर नहीं आए तो उनके पिता वसुदेव जी को चिंता होने लगी। तब उन्होंने देवी भागवत पुराण सुना था। जब कथा पूरी हुई तो श्रीकृष्ण आरोपों को झूठा साबित करके लौट आए। इस पुराण की रचना वेद व्यास जी ने की थी। देवी भागवत पुराण के 11वें स्कंध में सदाचार के बारे में बताया है। इस अध्याय में नारद मुनि ने भगवान नारायण से पूछा था कि देवी भगवती की कृपा पाने के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। उस समय भगवान नारायण ने जो बातें नारद मुनि को बताई थीं, वही बातें आज भी हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ा सकती हैं।
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज ने कहॉ कि जानिए देवी भागवत की कुछ ऐसी नीतियां, जिनका ध्यान रखने पर हमारी सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। हमें रोज गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। जो लोग इस मंत्र का जाप करते हैं, उनके बुरे विचार, भय दूर होते हैं, मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। गायत्री मंत्र का जाप करने जैसा दूसरा कोई और शुभ काम नहीं है।
हम व्यक्ति को रोज ये विचार करना चाहिए कि आज उसने कौन-कौन से काम किए हैं, मैंने किसी की मदद की या नहीं, मैंने कुछ गलत काम तो नहीं किया है। ऐसा विचार रोज करने से हमारे स्वभाव में सकारात्मक बदलाव आते हैं। जो लोग गलत काम करते हैं, उन्हें हर जगह अपमानित होना पड़ता है। दुख कभी खत्म नहीं होते हैं और बीमारियां पीछा नहीं छोड़ती हैं। जो धन गलत कामों से कमाया है, जल्दी से जल्दी उस धन का त्याग कर देना चाहिए। संस्कार ही व्यक्ति को सही काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए हमें सुविधाओं से ज्यादा संतान को अच्छे संस्कार देते रहना चाहिए।
कथा के यजमान गौतम परिवार है। कथा का प्रतिदिन समय दोपहर 2ः30 बजे से शाम 6 बजे तक श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। तत्पश्चात शाम 6 बजे आरती एवं प्रसाद वितरण किया जावेगा। शहर में पहली बार श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से इस अवसर पर गौतम परिवार ने सभी से अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ ले।
सादर प्रकाशनार्थ
............................ अनुराग गौतम
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