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Monday, December 30, 2024

पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 में तुरन्त संशोधन कर सहायता राशि में वृद्धि करने की पेंशनर्स महासंघ ने मांग की साल में 10 हजार की मुफ्त दवा का लाभ ज्यादतर रिटायर डाक्टर उठा रहें हैं : जांच की मांग

 पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 में तुरन्त संशोधन कर सहायता राशि में वृद्धि करने की पेंशनर्स महासंघ ने मांग की



साल में 10 हजार की मुफ्त दवा का लाभ ज्यादतर रिटायर डाक्टर उठा रहें हैं : जांच की मांग

छत्तीसगढ।  मुख्यमंत्री विष्णुदेवसाय और मुख्य सचिव अमिताभ जैन को भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने एक्स के माध्यम से ट्वीट करके मध्यप्रदेश शासन पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 में वित्त विभाग छत्तीसगढ़ शासन के संशोधन आदेश दिनांक 24 अगस्त 2006 को निरस्त कर सहायता राशि में तत्काल वृद्धि करने की मांग की है और साल में 10 हजार रुपए मुफ्त दवा का लाभ रायपुर जिला चिकित्सालय सहित लगभग सभी स्थानों में सबसे ज्यादा रिटायर डाक्टर लोग प्राप्त कर रहे हैं. यह जरूरतमंद पेंशनर और पेंशनर परिवारों के साथ घोर अन्याय है. इस मसले पर प्रशासकीय अधिकारियों से निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की है.

जारी संयुक्त विज्ञप्ति मे पेंशनर्स महासंघ के प्रांताध्यक्ष तथा छ ग राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश संयोजक वीरेंद्र नामदेव, भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय मंत्री पूरन सिंह पटेल, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जे पी मिश्रा, अनिल गोल्हानी, बी एस दसमेर, आर जी बोहरे आदि ने बताया है कि मध्यप्रदेश शासन में बनाए गए पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 के आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य में पेंशनरों को राज्य बनने के 6 साल बाद तक सहायता दी जाती रही. बाद में अगस्त 2006 में वित्त विभाग ने सहायता राशि में संशोधन किया. जिसमें राज्य बाहर इलाज कराने पर 20 हजार को वृद्धि कर 30 हजार और राज्य के भीतर इलाज के लिए 6 हजार को बढ़ाकर 10 हजार किया गया है.जो उस समय से लेकर अब तक कई साल से जारी है. शासन के इस आदेश की जानकारी के अभाव में प्रदेश के लगभग डेढ़ लाख पेंशनर्स और परिवार पेंशनरों में से एक हजार पेंशनर भी इसका कोई लाभ नहीं ले रहा है.यह सहायता "ऊँट के मुँह में जीरा" वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है.

         पेशनरों के आर्थिक सहायता के लिए जारी इस आदेश से पेंशनर्स अनभिज्ञ रहने के कारण कोई लाभ नहीं उठा पा रहे हैं इससे सम्बन्धित विभागीय अफसर भी अज्ञानता के कारण पूछताछ करने वाले पेंशनरों को जानकारी देने में असमर्थ रहते हैं.इसके बारे में प्रचार प्रसार करने की मांग करते हुए पेंशनर कल्याण निधि नियम 2006 को निरस्त कर संशोधन की जरूरत पर बल दिया है.

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