आरएसएस के पास गुरू , गोविंद और ग्रंथ बल नही है - पुरी शंकराचार्यजी
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर - ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज ने आज श्री सुदर्शन संस्थानम् शंकराचार्य आश्रम रावाभांठा रायपुर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से चर्चा की। मंदिर - मस्जिद विवाद को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर शंकराचार्यजी ने तंज कसते हुये कहा कि स्वयं सेवक बनते-बनते सर्व संचालक बन जाते हैं। इन्हें बारह महीने बोलना है , इसलिये कुछ भी बोल देते हैं। बाद में लज्जित होते हैं और कह देते हैं कि हमारे बयानों की आलोचना करने का सबको अधिकार है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत में हिन्दू का चिन्ह ना ढूंढ़ें , ये आलोचना के नहीं बल्कि दया के पात्र हैं। बताते चलें हाल ही में मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर बयान देते हुये कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें इतिहास को सही संदर्भ में समझना चाहिये और वर्तमान में शांति और सद्भाव बनाये रखना चाहिये। आरएसएस प्रमुख ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब देश में संभल , मथुरा , अजमेर और काशी समेत कई जगहों पर मस्जिदों के प्राचीन समय में मंदिर होने का दावा किया जा रहा है और उनके इन्हीं बयानों को लेकर अब शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने तंज कसा है। पुरी शंकराचार्यजी ने यह भी कहा यह संघ की लाचारी है कि उनके पास गुरु , गोविंद और ग्रंथ का बल नहीं है। आरएसएस अगर एक भी ग्रंथ अपना लेता तो उसे ग्रंथ बल मिल जाता। उन्होंने आगे कहा कि जब तक हिन्दू सुरक्षित है , तब तक अन्य सारी कौम भी सुरक्षित है। अगर हिन्दू नहीं रहेंगे तो इन्हें मार काट कर भगा दिया जायेगा। शंकराचार्यजी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हिन्दू जब तक पेट और परिवार में ही सीमित रहेगा तो उनकी दुर्दशा होंगी।
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