भूपेन्द्र सिन्हा
गौ सेवा से होगा प्रकृति संरक्षण- शंकर लाल यदु
लोगों को गौ पालन एवं पैरा दान हेतु प्रेरित कर रहे हैं योगाचार्य
छुरा :- भारतीय संस्कृति में गौ सेवा का विशेष महत्व है। गाय को माता की संज्ञा दी जाती है, जीवन पोषक माना जाता है। गौ माता की सेवा के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व भी है। गौ सेवा से घर में सुख-समृद्धि आती है एवं स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। पहले प्रत्येक घरों में गौवंश पालने की परंपरा थी। रोज सुबह से लेकर शाम तक सेवा कर पुण्य अर्जित करते थे। गौमाता को परिवार का अभिन्न अंग मानते थे।
गौ माता की सेवा के साथ दूध, दही, घी तथा गोबर, मूत्र से कृषि हेतु खाद की प्राप्ति होती थी। वही बैल, भैंस से खेती का काम संपन्न होता था। लेकिन वर्तमान में चारागाह के कमी की वजह से गौ पालन में बहुत कमी आई है। वहीं कृषि कार्य में अत्याधुनिक मशीनी उपकरणों के उपयोग की वजह से गौवंश का कृषि कार्य में उपयोग नहीं के बराबर हो गया है। लेकिन आज भी ऐसे गौ पालकों की कमी नहीं है जो नि:स्वार्थ भाव से गौ माता की सेवा में लगे हुए हैं। ऐसे ही गौ पालक शंकर लाल यदु है जो घर में भी 40-50 गौ वंश का पालन कर नियमित सेवा करते हैं। आसपास में कहीं किसी गौवंश दुर्घटना से घायल हो जाता है या कोई घर से बाहर निकाल देते हैं तो उनको वह अपने पास लाकर नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते हैं। प्रत्येक वर्ष दो ट्रैक्टर पैरा कट्टी का दान श्री कुंजबिहारी गौशाला में करते रहें हैं। ठेठवार यादव समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष शंकर लाल यदु द्वारा इस वर्ष भी श्री कुंजबिहारी गौशाला खुशरूपाली में एक ट्रैक्टर पैराकट्टी का दान किया गया। पतंजलि योग समिति जिलाध्यक्ष योगविद् अर्जुन धनंजय सिन्हा, समाज के सचिव देवनारायण यदु, टीकम यादव, मोहन ध्रुव द्वारा पैरादान में विशेष सहयोग प्रदान कर गौ सेवा का पुण्य अर्जित किए।
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