बस्तर की विकास को मुख्य धारा में है शामिल करना - सीएम साय
मुख्यमंत्री ने किया बस्तर के विकास का संकल्प व्यक्त
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर - मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आज जगदलपुर में “विकसित बस्तर की ओर” विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा बस्तर क्षेत्र के समग्र विकास हेतु विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया गया।
जगदलपुर में आयोजित बस्तर की ओर परिचर्चा में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा , वन मंत्री केदार कश्यप , सांसद महेश कश्यप , विधायक किरण सिंह देव , प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह , मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत , संबंधित विभागों के सचिव , बस्तर संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर समेत बस्तर संभाग के किसान , कृषि उद्योग से जुड़े गणमान्य स्थानीय उपस्थित थे। इस अवसर पर किसानों , व्यापरियों कृषि से सम्बंधित संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किये। मुख्यमंत्री साय ने कहा की बस्तर को विकास की मुख्य धारा में शामिल करना है। बस्तर को विकास की दिशा में आगे ले जाने के लिये हमे खेती पर ज्यादा जोर देना है , विशेषकर यहां के सीमांत किसानों पर ध्यान देना है। उन्होंने कहा कि बस्तर के लिये कृषि सबसे बेहतर विकल्प है , इससे स्थानीय जनजातियां जुड़ी हुयी है और लोग अपनी रुचि के अनुसार काम करेंगे तो उसमे सफल भी होंगे। कृषि के विकास के लिये हमने बजट में अतिरिक्त प्रावधान भी किया है। सीएम साय ने विशेष जोर देते हुये कहा कि हमें मक्के की खेती को बढ़ाना पड़ेगा । ये कम लागत में तैयार होने वाली और ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। मक्का के लिये बस्तर की जलवायु काफी अनुकूल है। इसके साथ ही यहां मिलेट्स उत्पादन का काफी ज्यादा स्कोप है , इसकी खेती पर हमे विशेष काम करना होगा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बस्तर केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है बल्कि यह संस्कृति , परंपरा , संघर्ष और संभावनाओं का संगम है। उन्होंने कहा कि बस्तर क्षेत्र में विकास की अपार संभावनायें हैं जिन्हें सशक्त नीति , पारदर्शी प्रशासन और जनभागीदारी से साकार किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि बस्तर को हर दृष्टि से आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद हमारे प्रदेश के लिये एक कलंक की तरह रहा है, केन्द्र सरकार के सहयोग से इसे समाप्त करने की दिशा में निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संकल्प है कि 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद का समूल नाश किया जाये और छत्तीसगढ़ इस लक्ष्य की प्राप्ति में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवाद केवल सुरक्षा की चुनौती नहीं है , बल्कि यह विकास की कमी का परिणाम है। इसलिये आवश्यक है कि हम बस्तर के हर गांव और हर व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ें और उन्हें पर्याप्त अवसर प्रदान करें। परिचर्चा में कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार ने कृषि क्षेत्र के विकास संबंधी रोडमैप प्रस्तुत करते हुये कहा कि बस्तर की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने हेतु फसल विविधीकरण , जैविक खेती , सिंचाई सुविधा का विस्तार , कृषि यंत्रीकरण , फसल ऋण की सुलभता और कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन पर विशेष बल दिया जा रहा है। बस्तर संभाग में इस समय 2.98 लाख सक्रिय किसान परिवार हैं, जिनमें से 2.75 लाख को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिल चुका है। योजना की 19वीं किस्त के रूप में 64.77 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। शेष पात्र परिवारों का सत्यापन कर उन्हें भी योजना से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि बस्तर में 7 कृषि विज्ञान केंद्र, 4 कृषि महाविद्यालय, 2 उद्यानिकी महाविद्यालय, 1 वेटरनरी पॉलीटेक्निक कॉलेज और 1 कृषक प्रशिक्षण केंद्र संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा 29 उद्यान रोपणियाँ, 9 शासकीय मत्स्य प्रक्षेत्र, एक पोल्ट्री प्रक्षेत्र तथा एक शासकीय सुअर पालन केंद्र भी कार्यरत हैं। केसीसी कवरेज वर्तमान में 86 प्रतिशत तक पहुंच चुका है और आगामी तीन वर्षों में 1.25 लाख नये केसीसी जारी करने का लक्ष्य है।
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