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Friday, April 4, 2025

संसद में पारित वित्त विधेयक में पेंशन असमानता पर प्रावधान से आठवीं वेतनमान का लाभ पुराने पेंशनर्स को मिलने पर संदेह देश भर में केंद्र और राज्य के पेंशनर्स संगठनों का विरोध

 संसद में पारित वित्त विधेयक में पेंशन असमानता पर प्रावधान से आठवीं वेतनमान का लाभ पुराने पेंशनर्स को मिलने पर संदेह





देश भर में केंद्र और राज्य के पेंशनर्स संगठनों का विरोध


सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी 

रायपुर-भारत सरकार ने 25 मार्च 2025 को वित्त विधेयक 2025 के साथ एक नया विधेयक पारित किया है  जिसके अनुसार 31 दिसम्बर 2025 से पूर्व में सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों को एक अलग श्रेणी में रखा जाएगा और  इससे यह आशंका हो रही है कि पुराने पेंशनभोगी, नए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दिए जाने वाले लाभों के पात्र नहीं होंगे अर्थात 1 जनवरी 26 से सेवानिवृत होने वाले लोगों को ही आठवें वेतनमान का लाभ मिलेगा। इस आशंका को देश भर में पेंशनर संगठनों का विरोध शुरू हो गया है।

इस विधेयक का भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री वीरेन्द्र नामदेव ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को  सोशल मीडिया के माध्यम से संदेश भेजकर और  पत्र लिखकर विरोध जताकर इस विधेयक को तुरंत निरस्त करने की मांग की है।


जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि सेवानिवृत्ति की तारीख के आधार पर पेंशन भोगियों को अलग करने की सरकार के इस कदम ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा स्थापित समानता के उल्लंघन के बारे में भी चिंता पैदा कर दी है और आनेवाली आठवे वेतन आयोग के सिफारिश से पहले पेंशन भोगियों के बीच इसे लेकर तरह तरह की आशंकाएं हो गई है।


भारत सरकार ने संसद की मंजूरी के लिए वित्त विधेयक को आगे बढ़ाते हुए "भारत की संचित निधि से पेंशन भुगतान पर व्यय के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन ) नियमों और सिद्धांतों के सत्यापन के लिए एक अध्याय शामिल किया है इसके माध्यम से सरकार को पेंशन भोगियों के बीच अंतर स्थापित करने का अधिकार मिल गया है जो विशेष रूप से पेंशन भोगी की सेवा निवृत्ति की तारीख या केंद्रीय वेतन आयोग की स्वीकृत सिफारिश के लागू होने की तारीख के आधार पर अंतर किया जा सकता है


संसद में वित्त विधेयक पारित होने के बाद विभिन्न  पेंशनभोगी संघों द्वारा संसद के अंदर और बाहर विरोध किया गया है क्योंकि यह विधेयक सातवें वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित और भारत सरकार द्वारा लागू पेंशन में समानता को खत्म कर देता है इसके अलावा सरकार द्वारा आठवे वेतन आयोग की घोषणा की गई है। देशभर के पेंशन भोगी अपने पेंशन संशोधन 1 जनवरी 2026 से पहले सेवानिवृत होने वाले पेंशन भोगियों और 8 वें वेतन आयोग की सिफारिश की अपेक्षित तिथि के बाद सेवानिवृत होने वाले पेंशन भोगियों के बीच समानता बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं। 


भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  बी के वर्मा, महिला प्रकोष्ठ प्रमुख द्रौपदी यादव , राष्ट्रीय मंत्री रामनारायण ताटी, पूरन सिंह पटेल, छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा,महामंत्री अनिल गोल्हानी, प्रदेश संगठन मंत्री टी पी सिंह, कोषाध्यक्ष बी एस दसमेर,प्रदेश के विभिन्न जिले के अध्यक्ष आर जी बोहरे रायपुर, आई सी श्रीवास्तव राजनांदगांव, राकेश जैन बिलासपुर, परमेश्वर स्वर्णकार जांजगीर चांपा, रमेश नंदे जशपुर, अभय शंकर गौराहा रायगढ़, देवनारायण साहू सारंगढ़, एम एल यादव कोरबा, भूपेन्द्र कुमार वर्मा दुर्ग, ओ पी भट्ट कांकेर, आर डी झाड़ी बीजापुर, एस के देहारी नारायणपुर, एस के धातोड़े कोंडागांव, पी एन उड़कुड़े दंतेवाड़ा, एस के कनौजिया सुकमा, प्रेमचंद गुप्ता वैकुंठपुर, माणिक चंद्र अंबिकापुर, महावीर राम बलरामपुर, संतोष ठाकुर सूरजपुर, आर ए शर्मा गौरेला पेंड्रा मरवाही, सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़, पुरषोत्तम उपाध्याय सक्ती, भैया लाल परिहार मुंगेली, यवन कुमार डिंडोरे बेमेतरा आदि ने पेंशन भोगियों के बीच असमानता स्थापित करने के लिए संसद के माध्यम से अधिकार लेने के सरकार के कदम का विरोध किया है क्योंकि पेंशन भोगियों के बीच इस तरह का भेदभाव सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्पष्ट उल्लंघन है और सातवें वेतन आयोग की सिफारिश का उल्लंघन है। जिसे सरकार ने 1 जनवरी 2016 से पहले और 1 जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत हुए पेंशन भोगियों के बीच समानता बनाए रखने के लिए स्वीकार किया था। सरकार द्वारा 8 वें वेतन आयोग की घोषणा के बाद वर्तमान निर्णय पेंशन भोगियों के लिए एक बड़ा झटका है और इसलिए सरकार को  देश भर के पेंशनरों के हित में इस पर पुनर्विचार करने और इसे वापस लेने की आवश्यकता है।

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