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Tuesday, June 17, 2025

भाषा को बोझ नहीं, बल्कि सेतु बनाया जाए - उपाध्याय पुलिस कार्यप्रणाली में हिंदी का प्रयोग – उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निर्देश पर ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत

 भाषा को बोझ नहीं, बल्कि सेतु बनाया जाए - उपाध्याय



पुलिस कार्यप्रणाली में हिंदी का प्रयोग – उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निर्देश पर ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत


कुंजराम यादव बसना रिपोर्टर 


बसना। राज्य की जनता के लिए एक स्वागतयोग्य और जनहितकारी निर्णय लेते हुए उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री श्री विजय शर्मा ने पुलिस विभाग को निर्देशित किया है कि अब से पुलिस कार्यप्रणाली में प्रयुक्त होने वाले कठिन, पारंपरिक और आम नागरिकों की समझ से बाहर उर्दू-फारसी के कुल 109 शब्दों को हटाकर उनकी जगह सरल, प्रचलित और सहज हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाए। भाजपा आईटी सेल पूर्व जिला संयोजक करुणाकर उपाध्याय ने इस निर्णय का स्वागत किया है।


भाजपा आईटी सेल पूर्व जिला संयोजक करुणाकर उपाध्याय ने कहा कि यह निर्णय प्रदेश में पुलिस और आम जनता के बीच संवाद को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और जन-सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम  है।


श्री उपाध्याय ने कहा कि "भाजपा सरकार नागरिकों की सुविधा और पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है। जब जनता को पुलिस की भाषा ही समझ नहीं आती, तो न्याय की प्रक्रिया से उनका जुड़ाव कैसे होगा? अब समय आ गया है कि भाषा को बोझ नहीं, बल्कि सेतु बनाया जाए।"


पुलिस थानों में दर्ज रिपोर्ट, नोटिस, समन, कार्रवाई विवरण और अन्य आधिकारिक अभिलेखों में अब ऐसे 109 शब्दों की जगह सरल हिंदी शब्दों का प्रयोग होगा, जिन्हें आमजन सहज रूप से समझ सकें। उदाहरण स्वरूप, अब अदम तामील के बदले सूचित न होना, इन्द्राज के स्थान पर टंकन, खयानत के बदले हड़पना, 

गोश्वारा के स्थान पर नक्शा

 रोजनामचा के स्थान पर सामान्य दैनिकी, शिनाख्त के बदले पहचान जैसे शब्दों का उपयोग किया जाएगा।


श्री उपाध्याय ने बताया कि राज्य सरकार के इस फैसले की विभिन्न सामाजिक संगठनों, शिक्षाविदों और आम नागरिकों ने भी सराहना की है। यह पहल न केवल न्याय प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि आम नागरिकों को पुलिस प्रक्रिया में अधिक आत्मीयता और विश्वास के साथ जोड़ने में भी मदद करेगी।


भाजपा आईटी सेल पूर्व जिला संयोजक करुणाकर उपाध्याय ने कहा कि यह निर्णय आने वाले दिनों में राजस्व विभाग, न्यायालय सहित अन्य सरकारी विभागों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करेगा, जहाँ भाषा जनसंपर्क की सबसे मजबूत कड़ी बन सकेगी।

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