आपातकाल : लोकतंत्र का काला अध्याय--किरण रविन्द्र वैष्णव
छुरिया:- जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण रविन्द्र वैष्णव ने कहा कि 25 जून 1975 का दिन हमारे देश के लिए काल आध्याय है। इस दिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल के दौरान तानाशाह सरकार ने लोगों को असंख्य यातनाएं दीं और मीडिया की आवाज को दबा दिया। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने हर वर्ष 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का निर्णय लिया है।'संविधान हत्या दिवस' लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोगों के सम्मान का प्रतीक है।25 जून 1975 को आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया गया था और लाखों लोगों को अकारण सलाखों के पीछे डाल दिया गया था।25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने तानाशाही मानसिकता का परिचय देते हुए देश पर आपातकाल थोपकर लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को बिना किसी गलती के जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज़ को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह दिन 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहने वाले सभी लोगों के महान योगदान को याद करेगा।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों की भावना का सम्मान करना है, जिन्होंने दमनकारी सरकार के हाथों अकल्पनीय उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। संविधान हत्या दिवस मनाने से प्रत्येक भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और हमारे लोकतंत्र की रक्षा की अखंड ज्योति प्रज्वलित रहेगी, जिससे किसी भी तानाशाही ताकत को उन भयावह घटनाओं को दोहराने से रोका जा सकेगा।आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय है जहां जनता के सारे अधिकार छिन गये थे।
अखबारों के कार्यालयों की बिजली काट दी गई, ताकि अगले दिन अखबार प्रकाशित न हो सकें। जो अखबार छप भी गए, उनके बंडल जब्त कर लिए गए। आदेश था बिजली काट दो, मशीन रोक दो, बंडल छीन लो। प्रेस सेंसरशिप लागू कर अखबारों के दफ्तर में अधिकारी बैठा दिए गए। बिना सेंसर अधिकारी की अनुमति के अखबारों में राजनीतिक समाचार नहीं छापे जा सकते थे। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण रविन्द्र वैष्णव ने "आपातकाल" के विरोध में उठी हर आवाज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है। और कहा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को #संविधान_हत्या_दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।
सीएन आई न्यूज से विजय निषाद की रिपोर्ट
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