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Thursday, June 26, 2025

श्री नाकोडा इस्पात एंड पावर लिमिटेड को लेकर आहूत जनसुनवाई का ग्रामीणों ने विरोध कर स्थगित करने की किया मांग।

 श्री नाकोडा इस्पात एंड पावर लिमिटेड  को लेकर आहूत जनसुनवाई का ग्रामीणों ने विरोध कर स्थगित करने की किया मांग।



तिल्दा-नेवरा।  तिल्दा जनपद क्षेत्रांतर्गत ग्राम सांकरा में प्रस्तावित संयंत्र श्री नाकोडा इस्पात एंड पावर लिमिटेड संचालन को लेकर आहूत जनसुनवाई का ग्रामीणों ने कड़ा विरोध करते हुए जनसुनवाई को स्थगित करने की मांग को लेकर कलेक्टर रायपुर को ज्ञापन सौंपा है , बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को संबंधित क्षेत्र के कलेक्टर के द्वारा जनसुनवाई स्थगित करने का आश्वासन दिया गया है ,वहीं इधर जानकारी में आ रही है ,कि क्षेत्र के  तथाकथित स्वयंभू नेता के द्वारा समीप के गांव सरोरा ,परसदा , भूमिया सहित अन्य जगहों पर घुमघुमकर जनसुनवाई के पूर्व सहमति पत्र लिया जा रहा है ,इसके एवज मे ग्रामीणों से  रूपये पैसों से सौदाबाजी किया जा रहा है ,जिसकी भनक लगते ही प्रभावित ग्राम के लोगों के मध्य तथाकथित नेता के प्रति आक्रोश व्याप्त है । उनका कहना है कि , अपने आप को  क्षेत्र के हितैषी कहने वाले तथाकथित नेता मुखौटा पहन‌ कर राज कर रहे हैं , उन्होंने यह भी कहा कि जनसुनवाई के पूर्व नेताओं के द्वारा लोगों से प्रलोभन देकर सहमति पत्र ले रहे हैं ,उसकी एवज में उद्योग प्रबंधन‌ से बड़ी रकम ली जा रही है । ग्रामीणों का आरोप है कि जनसुनवाई के पूर्व पैसो के दम पर ली गई सहमति पत्र को उद्योग प्रबंधन के द्वारा पर्यावरण संरक्षण मंडल में जमा कर पर्यावरण संरक्षण मंडल के साथ साथ ग्रामीणों को गुमराह किया जा रहा है । ग्रामीणों ने आगे कहा कि नियमा नुसार पर्यावरण जनसुनवाई के दौरान मौके पर से  जनता का जो विचार सामने आती है ,उसके आधार पर ही पर्यावरण संरक्षण मंडल को विचार करनी चाहिए जबकि  देखा जा रहा है कि इसके विपरीत बाहर से  दलाल नेताओ के द्वारा लोगों को झांसे में लेकर जो सहमति ली जा रही है ,उन पर अमल किया जा रहा है , ग्रामीणों का सवाल ‌है‌,कि जब बाहर से ही सहमति पत्र लेकर उद्योग के पक्ष में संबंधित  विभाग को कार्यवाही करनी है ,तो जनसुनवाई  ही क्यो किया जाता है ? ग्रामीणो का मानना है कि जनसुनवाई , तो महज एक खानापूर्ति ही रह गया है । उन्होंने कहा कि तथाकथित उद्योग के दलाल नेता को ग्रामीण समझ चुके हैं ,उसका उन्हें जवाब दिया जावेगा । जनसुनवाई स्थगित करने का आश्वासन दिया गया है ,वहीं इधर जानकारी में आ रही है ,कि क्षेत्र के  तथाकथित स्वयंभू नेता के द्वारा समीप के गांव सरोरा ,परसदा , भूमिया सहित अन्य जगहों पर घुमघुमकर जनसुनवाई के पूर्व सहमति पत्र लिया जा रहा है ,इसके एवज मे ग्रामीणों से  रूपये पैसों से सौदाबाजी किया जा रहा है ,जिसकी भनक लगते ही प्रभावित ग्राम के लोगों के मध्य तथाकथित नेता के प्रति आक्रोश व्याप्त है । उनका कहना है कि , अपने आप को  क्षेत्र के हितैषी कहने वाले तथाकथित नेता मुखौटा पहन‌ कर राज कर रहे हैं , उन्होंने यह भी कहा कि जनसुनवाई के पूर्व नेताओं के द्वारा लोगों से प्रलोभन देकर सहमति पत्र ले रहे हैं ,उसकी एवज में उद्योग प्रबंधन‌ से बड़ी रकम ली जा रही है । ग्रामीणों का आरोप है कि जनसुनवाई के पूर्व पैसो के दम पर ली गई सहमति पत्र को उद्योग प्रबंधन के द्वारा पर्यावरण संरक्षण मंडल में जमा कर पर्यावरण संरक्षण मंडल के साथ साथ ग्रामीणों को गुमराह किया जा रहा है । ग्रामीणों ने आगे कहा कि नियमा नुसार पर्यावरण जनसुनवाई के दौरान मौके पर से  जनता का जो विचार सामने आती है ,उसके आधार पर ही पर्यावरण संरक्षण मंडल को विचार करनी चाहिए जबकि  देखा जा रहा है कि इसके विपरीत बाहर से  दलाल नेताओ के द्वारा लोगों को झांसे में लेकर जो सहमति ली जा रही है ,उन पर अमल किया जा रहा है , ग्रामीणों का सवाल ‌है‌,कि जब बाहर से ही सहमति पत्र लेकर उद्योग के पक्ष में संबंधित  विभाग को कार्यवाही करनी है ,तो जनसुनवाई  ही क्यो किया जाता है ? ग्रामीणो का मानना है कि जनसुनवाई , तो महज एक खानापूर्ति ही रह गया है । उन्होंने कहा कि तथाकथित उद्योग के दलाल नेता को ग्रामीण समझ चुके हैं ,उसका उन्हें जवाब दिया जावेगा ।


तिल्दा, सिमगा से अजय नेताम के साथ ओंकार साहू की रिपोर्ट

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