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Thursday, July 24, 2025

हरियाली अमावस आज,देवों के देव महादेव की पूजा करने से होगी सभी मनोकामनाएं पूरी ।

 हरियाली अमावस आज,देवों के देव महादेव की पूजा करने से होगी सभी मनोकामनाएं पूरी ।       




             सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। 

हिन्दू धर्म में  सावन महीने का खास महत्व  होता है। यह महीना बेहद पावन होता है। इस महीने में रोजाना देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार समेत विशेष शुभ अवसर पर साधक शिव-पार्वती के निमित्त व्रत रखते हैं।




सावन महीने में कई प्रमुख व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें सावन शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इसके अगले दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। इसे सावन अमावस्या भी कहा जाता है।


पंचांग के अनुसार, 24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर सावन माह की अमावस्या तिथि शुरू होगी। वहीं, 25 जुलाई को देर रात 12 बजकर 40 मिनट पर सावन अमावस्या तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इस प्रकार 24 जुलाई को सावन अमावस्या मनाई जाएगी। सावन अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है।*


सावन अमावस्या शुभ योग


ज्योतिषियों की मानें तो हरियाली अमावस्या पर हर्षण योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इनमें गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग प्रमुख हैं। इन योग में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलेगी।


शिववास योग


हरियाली अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग है। इस योग का निर्माण सुबह से हो रहा है। वहीं, शिववास योग देर रात 12 बजकर 40 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर जगत जननी देवी मां गौरी के साथ रहेंगे। इस समय में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।


शुभ योग-


हरियाली अमावस्या पर कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इनमें रवि पुष्य योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से लेकर 25 जुलाई को सुबह 05 बजकर 39 मिनट तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग भी दिन भर है। साथ ही हर्षण योग सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक है। वही, अमृत सिद्धि योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से लेकर 25 जुलाई को सुबह 05 बजकर 39 मिनट तक है। वहीं, पुनर्वसु नक्षत्र शाम 04 बजकर 43 मिनट तक है। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होगी।


हरियाली अमावस्या का महत्व


पुराणों में उल्लेख है कि श्रावण मास में किया गया दान, स्नान, पूजन और तप विशेष पुण्यफल देने वाला होता है। हरियाली अमावस्या के दिन किया गया व्रत, पूजा-पाठ और तर्पण व्यक्ति को पूर्व जन्मों और वर्तमान जीवन में अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति दिलाता है। साथ ही यह दिन जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।

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