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Tuesday, July 8, 2025

कामता आंगनबाड़ी केंद्र की जर्जर हालत, दीवारों में दरारें, छत से पानी टपक रहा — बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़

 कामता आंगनबाड़ी केंद्र की जर्जर हालत, दीवारों में दरारें, छत से पानी टपक रहा — बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़



CNI NEWS सिमगा से ओंकार साहू की रिपोर्ट


सिमगा:- सिमगा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत कामता स्थित आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 1 की हालत बद से बदतर होती जा रही है। बच्चों के पोषण, देखभाल और शिक्षा के लिए बनाए गए इस केंद्र का भवन पूर्णतः




 जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि अब यह भवन बच्चों और कार्यकर्ताओं की जान के लिए खतरा बन चुका है।


छत से पानी टपक रहा, दीवारों में गहरी दरारें



मानसून की शुरुआत के साथ ही भवन की छत से भारी सीपेज शुरू हो गई है। छत की प्लास्टरिंग पूरी तरह उखड़ चुकी है और जगह-जगह फफूंदी व सीलन फैल चुकी है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। 



यही नहीं, दीवारों में कई गहरी दरारें साफ नजर आ रही हैं जो भवन की संरचनात्मक कमजोरी को दर्शाती हैं।



तस्वीरों में स्पष्ट देखा जा सकता है कि शिक्षाप्रद दीवारों पर लगी चित्रकारी — जिसमें फल, जानवर, आकार और रंग सिखाने वाले चित्र बने हैं — वे भी दरारों के चलते कट-फट गए हैं। कुछ जगहों पर ईंटें और प्लास्टर तक झड़ चुके हैं, जो किसी भी दिन बड़ा हादसा होने की चेतावनी दे रहे हैं।


ग्रामीणों ने की शिकायत, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं


इस गंभीर स्थिति को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने इस भवन की स्थिति की शिकायत आंगनबाड़ी सुपरवाइजर व ग्राम सरपंच को की है। लेकिन शिकायत के बावजूद अब तक न तो किसी अधिकारी ने स्थल का निरीक्षण किया और न ही कोई मरम्मत कार्य शुरू हुआ है।


बच्चों की जान जोखिम में


हर दिन छोटे बच्चे इस भवन में बैठकर पोषण आहार ग्रहण करते हैं और प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करते हैं। ऐसे में यदि छत से गिरती सीलन या दीवार से गिरती ईंटों की वजह से कोई दुर्घटना होती है, तो पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और विभाग की होगी।


ग्रामीणों की मांग — तत्काल मरम्मत कर भवन को सुरक्षित बनाया जाए


ग्रामवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि तत्काल टीम भेजकर भवन की जांच कराई जाए और इसकी मरम्मत कर बच्चों के लिए सुरक्षित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही, आवश्यकता पड़ने पर नए भवन के निर्माण की भी योजना बनाई जाए।


यदि यह समस्या समय रहते नहीं सुलझाई गई, तो न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी, बल्कि यह एक बड़ा हादसा भी बन सकता है। विभागीय लापरवाही की स्थिति में जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

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