रिपोर्टर रोहित वर्मा
लोकेशन खरोरा
नलवा माईंस की जनसुनवाई के विरोध में उग्र ग्रामीण, सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी से तनावपूर्ण माहौल
खरोरा
ग्राम
मोतिमपुर खुर्द
25 जुलाई को प्रस्तावित नलवा माईंस की जनसुनवाई के खिलाफ मोतिमपुर खुर्द और आसपास के गांवों में भारी विरोध देखने को मिल रहा है। जनसुनवाई के एक दिन पहले ही सैकड़ों ग्रामीण विरोध में डटे हुए हैं और सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दे चुके हैं। जनसुनवाई स्थल पर टेंट और पंडाल लगाने तक नहीं दिया जा रहा, जिससे माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित खदान की खुदाई से पानी की समस्या और बढ़ेगी, जबकि क्षेत्र पहले से ही जलसंकट से जूझ रहा है। साथ ही, जिस भूमि पर माइनिंग की योजना है, वहां पूर्वजों की अस्थियां और धार्मिक महत्व की चीजें मौजूद हैं। ग्रामीण इस जमीन को खुदाई के लिए देने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं।
प्रमुख विरोधकर्ता और उनके बयान:
"वेदराम मनहरे (पूर्व जनपद अध्यक्ष):
"गांव के लोग पहले से ही पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसते हैं, खदान बनने से स्थिति और बिगड़ जाएगी। किसी भी हालत में जनसुनवाई नहीं होने देंगे।"
"टीकेश्वर मनहरे (जनपद पंचायत अध्यक्ष, तिल्दा):
"अगर खदान लगानी ही है तो खदान मालिक अपने परिवार सहित यहां रहकर देखे कि क्या हालात हैं। इसके बाद ही निर्णय लें।"
"अभिषेक वर्मा (सरपंच, पचरी):
"प्रस्तावित जमीन में हमारे पूर्वजों की अस्थियां हैं। अगर जबरन जनसुनवाई कर खदान की प्रक्रिया शुरू की गई, तो मैं और गांव के लोग सामूहिक आत्मदाह करेंगे।"
उपेन्द्र देवांगन (सरपंच प्रतिनिधि, छड़िया):
"हम अपनी संस्कृति, विरासत और जलस्त्रोतों की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक विरोध करेंगे।"
ग्रामीणों ने प्रस्तावित स्थल पर टेंट और अन्य इंतजामों को रोकने के लिए मोर्चा संभाल रखा है। मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया है, लेकिन अब तक टकराव की स्थिति टली हुई है। पुलिस ने भी फिलहाल प्रस्तावित स्थल से दूरी बना ली है और खरोरा थाने में डटी हुई है।
राजनीतिक समर्थन भी ग्रामीणों के पक्ष में:
इस जनविरोध को क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन प्राप्त हो रहा है। विधायक अनुज शर्मा और जिला पंचायत अध्यक्ष नवीन अग्रवाल ने भी जनसुनवाई और खदान प्रस्ताव के विरोध में अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखा है।
जनसुनवाई के खिलाफ ग्रामीणों का यह विरोध सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय सरोकारों से जुड़ा हुआ है। प्रशासन और उद्योग कंपनी के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति है कि वे किस प्रकार से इस जनभावना को समझें और निर्णय लें।
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