नगर निगम ने निजी जमीन हड़पने की रची साजिश , जाँच की मांग तेज
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
दुर्ग - नगर पालिक निगम दुर्ग एक बार फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। शिवनाथ नदी किनारे स्थित एक निजी भूमि को लेकर गंभीर आरोप लगाये गये हैं कि निगम ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की आड़ में धोखाधड़ीपूर्वक भूमि अर्जित कर उसे पुष्पवाटिका (गार्डन) में तब्दील कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला वर्ष 1988 से जुड़ा हुआ है। उस समय दुर्ग-भिलाई के लिये लगभग 19 करोड़ रुपये की लागत से वृहद जलप्रदाय परियोजना (प्रथम चरण) का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। पीएचई विभाग द्वारा मौके का सर्वे कर पत्र क्रमांक 575 , दिनांक 15/04/1988 को नगर पालिक निगम दुर्ग को भेजा गया था। इस पत्र में भूमिस्वामी बालाराम शर्मा की भूमि खसरा नंबर 375/1 एवं 378 का कहीं उल्लेख नहीं था। बावजूद इसके नगर पालिक निगम दुर्ग ने उक्त पत्र का हवाला देकर शर्मा की निजी भूमि का अवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया।आश्चर्यजनक रूप से उस भूमि पर जलप्रदाय योजना से संबंधित कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया। उल्टा वहाँ एक पुष्पवाटिका बना दी गई , जबकि पीएचई विभाग का कार्यक्षेत्र जल आपूर्ति तक सीमित है , बाग-बगीचा निर्माण इसका हिस्सा नहीं है। आरोप है कि निगम ने जिस वास्तविक भूमि को अधिग्रहण करना था , वह नाले के किनारे स्थित थी। लेकिन उसके साथ शर्मा की निजी भूमि को अवैधानिक रूप से जोड़कर अधिग्रहण कर लिया गया। अब इस पूरे मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की माँग की जा रही है। इस विवाद ने शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली और भूमि अर्जन प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिये हैं।
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