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Thursday, October 30, 2025

बेमौसम बारिश ने बढ़ाई अन्नदाताओं की चिंता: धान की फसल को भारी नुकसान, सरकार से विशेष राहत की मांग।

 पखांजूर/कांकेर से CNI NEWS शंकर सरकार की रिपोर्ट। मो-6268535584


पखांजूर : बेमौसम बारिश ने बढ़ाई अन्नदाताओं की चिंता: धान की फसल को भारी नुकसान, सरकार से विशेष राहत की मांग।



 पूरे परलकोट क्षेत्र में बेमौसम हो रही तेज हवा, तूफान और बारिश ने किसानों की मुश्किलों को कई गुना बढ़ा दिया है। इस अप्रत्याशित मौसम बदलाव के कारण धान की कटाई पूरी होने से पहले ही खड़ी और कटी हुई दोनों तरह की फसलों को भारी क्षति पहुंची है।



 किसान इस आपदा से बुरी तरह चिंतित हैं और उन्हें अपनी मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है।

खेत और खलिहान, हर जगह फसलें भीगीं

किसान  सुबल मंडल,शम्बू बाल, संतोष बिस्वास ने बताया जिन किसानों ने अपनी धान की फसल काटकर खेतों में रखी थी, उन्हें फसल को सुखाने के लिए लगातार पलटी करनी पड़ रही है, लेकिन बेमौसम बरसात के कारण यह प्रक्रिया सफल नहीं हो पा रही है। 




वहीं, कुछ किसानों ने बताया कि जल्दबाजी में कटाई कर धान को अपने आंगन या खलिहान में सुरक्षित रखा था, लेकिन अचानक हुई इस बारिश के लिए उचित व्यवस्था न होने के कारण वह धान भी भीग गया।





किसानों को सबसे बड़ी चिंता अब धान की गुणवत्ता  को लेकर सता रही है। भीगने के कारण न केवल पैदावार में कमी आएगी, बल्कि अनाज की चमक और गुणवत्ता भी प्रभावित होगी, जिससे उन्हें मंडियों में उचित मूल्य मिलने की आशंका कम हो गई है।

कीट का खतरा बढ़ा

मौसम परिवर्तन से फसलों में कीट का प्रकोप बहुत अधिक बढ़ गया है किसान लगातार खेत में कीटनाशक दवाई का छिड़काव करने को मजबूर है।


किसानों ने लगाई शासन-प्रशासन से गुहार

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, क्षेत्र के पीड़ित किसानों ने एकजुट होकर शासन और प्रशासन से मार्मिक गुहार लगाई है। 

 खरीदी में नरमी: किसानों ने आग्रह किया है कि सरकार इस वर्ष की धान खरीदी में गुणवत्ता के मानकों में थोड़ी ढील बरते और 'एहतियात' के तौर पर नमी युक्त और कम गुणवत्ता वाले धान को भी स्वीकार करे।

 उचित मूल्य: सबसे महत्वपूर्ण मांग यह है कि कम गुणवत्ता वाले भीगे हुए धान को भी उचित समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए, ताकि किसानों को उनके नुकसान की आंशिक भरपाई हो सके और वे आर्थिक संकट से बच सकें।

किसान गोविंद उसेंडी, राहुल कुमार, रूपेश हाजरा का कहना है कि यह एक प्राकृतिक आपदा है, और ऐसे में सरकार को उनके साथ खड़ा होना चाहिए। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन-प्रशासन किसानों की इस अपील पर क्या कदम उठाता है और उन्हें इस संकट से उबारने के लिए क्या विशेष राहत प्रदान करता है।

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