बांके बिहारी की कृपा से होता है श्रीमद्भागवत कथा - आचार्य प्रकाश तिवारी
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जांजगीर चाम्पा - परमपिता परमेश्वर भगवान श्री बांके बिहारीजी की असीम कृपा से स्मृति शेष तथा समाजसेवी रामरतन सोनी के वार्षिक श्राद्ध निमित्त संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महापुराण यज्ञ सप्ताह का आयोजन गत दिवस कलश यात्रा निकालकर कोटमी सोनार में की गई। प्रथम दिन भागवत कथा महात्म्य के माध्यम से सुप्रसिद्ध आत्मदेव और धुंधकारी गौकर्ण की कथा सुनाई गई। श्रीमद्भागवत कथा अलौकिक और आत्मीय शांति प्रदान करने वाली की महान कथा महापुराण हैं। इस कथा की अलौकिक और आध्यात्मिक शक्ति आज इतने वर्षों बाद भी धूमिल नहीं हुई हैं। कथा ना मन से होती है ना तन से और ना ही धन से होती है बल्कि कथा महात्म्य का आयोजन बांके बिहारीजी की कृपा से होता हैं । कथा सत्संग से मनुष्य को ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति होती हैं। यह कथा मृत्यु से मृत्यु को संवारती हैं और यह भय रोग की महा औषधी हैं। संसार के सारे ग्रंथ एक तरफ और श्रीमद्भागवत कथा महापुराण एक तरफ हैं। कथा के आयोजक चंद्रिका प्रसाद सोनी तथा उनकी अर्द्धांगिनी श्रीमति पुष्पा देवी सोनी ने प्रारंभ और कथा के पश्चात व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य प्रकाश तिवारी और भागवत महापुराण ग्रंथ की आरती की। कथा महात्म्य के दौरान श्रीमति लीलाबाई सोनी , राकेश कुमार सोनी , कोमल , हीरालाल , रिकेश , रतन , अंकित , शिवानी , रश्मि रतन सोनी और शशिभूषण सोनी ने ऐसे दुर्लभ संत का चरण स्पर्श कर साष्टांग प्रणाम किया। कथा के रसपान से पूर्व भक्तिमय वातावरण में भजन और सुमधुर कीर्तन ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर बाहर से आने वाले अतिथियों का स्वागत राधे-राधे दुपट्टा तथा तिलक लगाकर स्वागत किया जा रहा हैं। कथा महात्म्य में श्रीमति बोधनी - मोहनलाल, बाल कुंवारी - देवनारायण, रेखा देवी - रतनलाल, रागिनी - दीपक, रितु- भानु, रीमा, शुभम, तुषार सोनी सहित अन्यान्य लोग शामिल रहे । कथा के तीसरे दिन मंगलवार को जड़-भरत चरित्र, अजामिल और प्रह्लाद चरित्र की कथा सुनाई जायेगी। आयोजक दंपत्ति चंद्रिका- श्रीमति पुष्पा सोनी तथा दमाद रतन सोनी ने कथा का रसपान करने श्रद्धालु-जनों से सविनय निवेदन किया हैं।
आचार्यश्री का व्यक्तित्व अनूठा और दिव्य है - शशिभूषण सोनी
स्वर्णकार समाज के मीडिया प्रभारी शशिभूषण सोनी ने कहा कि अंचल के सुप्रसिद्ध वाचक और कर्मकांड पंडित प्रकाश तिवारी 'श्रीरंग' का व्यक्तित्व अनूठा और दिव्य हैं , श्रीमद्भागवत कथा महात्म्य के दौरान उनकी वाणी सहज-सरल , सटीक तथा हृदय में उतरने वाली हैं । कथा के दौरान रोचक तथ्य प्रस्तुत करते हुये उनकी कथनी और करनी में पूरी तरह से एकरुपता हैं। उन्होंने उच्च शिक्षित यथा गोल्ड मेडलिस्ट एम.ए. संस्कृत साहित्य , एमए ( संगीत ) और अनेक विशारद उपाधि प्राप्त तिवारी महाराज के मुखारविंद से जब कथा शुरू होता हैं तब सब लोग ध्यान पूर्वक उनकी कथा में निमग्न हो जाते हैं। प्रशंसा ,आत्म प्रशंसा और मान-सम्मान की भावना से कोसों दूर अपने प्रवचनों में श्रीमद्भागवत कथा के गुढ़ रहस्यों को उजागर करते हैं।
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