गुरु तेग बहादुर जी हिंद की चादर नहीं अपितु सम्पूर्ण सृष्टि की चादर थे- रीत कौर
सिमगा। सिखों के नवम गुरु धन धन श्री गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी पर्व गुरुद्वारा नानक दरबार में बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति भावना से मनाया गया। शाम के दीवान की शुरुआत रहिरास साहिब एवं आरती के पाठ से हुई, जिसके उपरांत स्त्री सत्संग की संगत ने भावपूर्ण कीर्तन गायन और गुरु इतिहास पर आधारित कथा-विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में स्त्री सत्संग की सदस्य रीत कौर ने गुरु-विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि “गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म, मानवता और अस्मिता की रक्षा के लिए जो सर्वोच्च बलिदान दिया, वह केवल सिख पंथ का गर्व नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए प्रेरणा है। वे केवल ‘हिंद की चादर’ नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि की चादर थे।”
उन्होंने आगे कहा कि “दिल्ली के चांदनी चौक में जब अत्याचार के आगे झुकने की बजाय गुरु महाराज ने शहादत स्वीकार की, तब दुनिया ने पहली बार देखा कि सत्य और धर्म की रक्षा के लिए मनुष्य अपना सिर तक समर्पित कर सकता है। उन्होंने किसी शक्ति प्रदर्शन या चमत्कार का सहारा नहीं लिया, बल्कि साहस, धैर्य और सत्य को ही अपना हथियार बनाया। उनकी शहादत हर युग के लिए संदेश है कि अन्याय के विरुद्ध डटकर खड़े होना ही सच्चा धर्म है।”
रीत कौर ने ‘श्लोक महला 9’ का महत्व बताते हुए कहा कि इसमें जीवन की नश्वरता, वैराग्य, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा है। उन्होंने कहा कि संगत द्वारा इन श्लोकों का पाठ करना गुरु महाराज को सच्ची श्रद्धांजलि है।
अंत में पूरी संगत ने एक स्वर में श्लोक महला 9वें का पाठ कर गुरु तेग बहादुर जी को नमन किया। अरदास के उपरांत गुरु का लंगर वरताया गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं में गहरी आस्था और आध्यात्मिक उत्साह का माहौल बना रहा।
CNI NEWS सिमगा से ओंकार साहू की रिपोर्ट


















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