सोम प्रदोष व्रत आज -भगवान शिव और माता पार्वती की प्रदोष काल में पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है, पापों का नाश होता है।
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है। सोमवार के दिन पड़ने से इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। मार्गशीर्ष का महीना देवताओं का अत्यंत प्रिय महीना होता है ऐसे में सोम प्रदोष व्रत और अधिक फलदायी बन जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सोम प्रदोष व्रत की तारीख-
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 नवंबर 2025, सोमवार की सुबह 4 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 18 नवंबर की सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 17 नवंबर को सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
इस व्रत को प्रदोष काल यानी शाम के समय किया जाता है। सूर्यास्त के बाद 1.5 घंटे के समय को प्रदोष काल माना जाता है। इसी अवधि में भगवान शिव की पूजा, जलाभिषेक और प्रदोष स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त मिलती है और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व-
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत मानसिक शांति, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि सोम प्रदोष व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है और चंद्र दोष से मुक्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है।
सुबह स्नान कर हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
घर के मंदिर को साफ कर शाम के समय गोधूलि बेला में दीपक जलाएं।
भगवान शिव का अभिषेक करें और सबसे पहले शुद्ध जल अर्पित करें।
फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (पंचामृत) से अभिषेक करें।
हर सामग्री चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए।
अंत में फिर से शुद्ध जल अर्पित कर चंदन, गुलाल और पुष्प चढ़ाएं।
बेलपत्र और शमी पत्र अर्पित कर भोग में फल और मिठाई अर्पित करें।
अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही, ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए बिल्व पत्र, धतूरा, और अन्य शिव को प्रिय चीजें चढ़ाएं और फिर धूप-दीप जलाकर शिव चालीसा और आरती करें।
प्रदोष काल में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत के दिन मंदिर में की गई प्रदोष पूजा का फल 100 गुना अधिक मिलता है। प्रदोष व्रत में फलाहार ग्रहण करना चाहिए और अन्न नहीं खाना चाहिए।


















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