राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस-ऊर्जा संरक्षण से आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ मिलता है।
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी।
राष्टीय ऊर्जा संरक्षण दिवस भारत में हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता है।
1981 में भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम (Energy Conservation Act) पर काम शुरू किया।
2001 में “ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001” लागू हुआ।
2004 से हर साल 14 दिसंबर को “राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस” मनाया जा रहा है। यह आयोजन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE - Bureau of Energy Efficiency) द्वारा किया जाता है।
इतिहास-
1970–80 के दशक में दुनिया में ऊर्जा संकट बढ़ा।
भारत ने भी ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पहचानते हुए ऊर्जा बचत के नियम बनाने शुरू किए।
2001 में “ऊर्जा संरक्षण अधिनियम” लागू हुआ, जिसके बाद ऊर्जा बचत को राष्ट्रीय स्तर पर अभियान बनाया गया। 2004 से सरकार ने इसे राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाना शुरू किया ताकि लोगों में जागरूकता बढ़े।
महत्व-
1. ऊर्जा की बचत = पर्यावरण की सुरक्षा ऊर्जा कम इस्तेमाल होने से प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैसें और ग्लोबल वार्मिंग कम होती है।
2. भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों का संरक्षण ऊर्जा सीमित है, इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
3. आर्थिक बचत ऊर्जा दक्ष उपकरणों के इस्तेमाल से बिजली के बिल कम होते हैं और देश आर्थिक रूप से मजबूत बनता है।
4. देश की ऊर्जा निर्भरता कम होती है अगर हम ऊर्जा बचाएँ तो हमें बाहर के देशों से तेल/गैस कम खरीदनी पड़ेगी।
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5. सतत विकास को बढ़ावा ऊर्जा की स्मार्ट खपत से विकास और पर्यावरण दोनों का संतुलन बना रहता है।
भारत एक तेजी से विकसित होने वाला देश है, जहाँ ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है।
जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोल, डीज़ल) तेजी से खत्म हो रहे हैं।प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन गंभीर समस्या बन चुके हैं।
ऊर्जा संरक्षण से आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ मिलते हैं।


















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