Breaking

अपनी भाषा चुने

POPUP ADD

सी एन आई न्यूज़

सी एन आई न्यूज़ रिपोर्टर/ जिला ब्यूरो/ संवाददाता नियुक्ति कर रहा है - छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेशओडिशा, झारखण्ड, बिहार, महाराष्ट्राबंगाल, पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, एन सी आर दिल्ली, कोलकत्ता, राजस्थान, केरला, तमिलनाडु - इन राज्यों में - क्या आप सी एन आई न्यूज़ के साथ जुड़के कार्य करना चाहते होसी एन आई न्यूज़ (सेंट्रल न्यूज़ इंडिया) से जुड़ने के लिए हमसे संपर्क करे : हितेश मानिकपुरी - मो. नं. : 9516754504 ◘ मोहम्मद अज़हर हनफ़ी - मो. नं. : 7869203309 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ आशुतोष विश्वकर्मा - मो. नं. : 8839215630 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ शिकायत के लिए क्लिक करें - Click here ◘ फेसबुक  : cninews ◘ रजिस्ट्रेशन नं. : • Reg. No.: EN-ANMA/CG391732EC • Reg. No.: CG14D0018162 

Saturday, February 27, 2021

प्रहलाद की रक्षा हेतु हुआ नृसिंह अवतार - शीतल द्विवेदी

 



अरविन्द तिवारी के साथ मोहन द्विवेदी की रिपोर्ट 


चाम्पा -- जब इस धरती पर धर्म की हानि होती है और अत्याचार बढ़ते जाता है ,  किसी भक्त पर कोई संकट आता है तब तब धर्म की स्थापना के लिये और  भक्त की रक्षा के लिये भगवान विष्णु धरती पर प्रकट होते हैं। जब भक्त प्रहलाद पर संकट आया तो भगवान विष्णु नृसिंह अवतार लेकर उसकी रक्षा किये। भगवान विष्णु का ये अवतार बताता है कि जब पाप बढ़ जाता है तो उसको खत्म करने के लिये शक्ति के साथ ज्ञान का उपयोग भी जरूर हो जाता है। ज्ञान और शक्ति पाने के लिए भगवान नृसिंह की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखते हुये ही उन्हें ठंडक और पवित्रता के लिये चंदन चढ़ाया जाता है।

      उक्त उद्गार धार्मिक नगरी चांपा के रहसबेड़ा स्थित प्रांगण में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के तीसरे दिन भागवताचार्य पं० शीतल द्विवेदी ने कही। यह आयोजन भक्त संजय पाठक / श्रीमति श्रीति पाठक द्वारा विश्व कल्याण एवं सुख-शांति- समृद्धि के लिये किया जा रहा है। आचार्य श्री ने श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुये बताया कि कश्यप ऋषि की पत्नी का नाम दिति था, जिससे दो पुत्र हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप थे। भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का वराह रूप धारण कर वध किया था क्योंकि उसके अत्याचार बढ़ते ही जा रहे थे। अपने भाई का बदला लेने के लिये हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या की और ब्रह्मा जी से वरदान मांग लिया कि उसे दिन में या रात में , पानी- हवा-धरती पर किसी भी अस्त्र -शस्र से कोई भी मनुष्य-पशु- पक्षी ना मार सके।  वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर और भगवान विष्णु से भी बड़ा समझने लगा और  अंहकारवश उसने अपनी प्रजा से स्वयं को भगवान की तरह पूजने का आदेश दिया. आदेश ना मानने पर हिरण्यकश्यप ने प्रजा पर अत्याचार करने लगा। हिरण्यकश्यप की पत्नी कयादु से उसे प्रहलाद नाम का एक पुत्र हुआ जो भगवान विष्णु का बहुत ही बड़ा भक्त था और हमेशा हरिकीर्तन किया करता था। उसने अपने पिता को समझाने की कोशिश की कि भगवान विष्णु से वैर त्यागकर उनकी शरण में चले जाये लेकिन दैत्यराज हिरण्यकश्यप मानने वालों में से नही था। वह विष्णु को अपना सबसे बड़ा शत्रु समझता था और अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की आराधना से मना करने लगा।  जब प्रहलाद ने पिता की बात नहीं मानी तो हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की बहुत कोशिश की। उसने प्रहलाद को कभी ऊंचे पहाड़ से धक्का दिलवा दिया तो कभी हाथी के पैरों तले कुचलवाकर मारने की कोशिश की लेकिन वह हर बार नाकामयाब रहा। हिरण्यकश्यप ने बालक प्रहलाद को मारने के लिये अपनी बहन होलिका की गोदी में बैठाकर अग्नि में प्रवेश का आदेश दिया लेकिन इस घटना में प्रहलाद को कुछ नही हुआ और होलिका जलकर भस्म हो गयी जबकि होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था। उसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिये योजना बनानी शुरू कर दी लेकिन वह अपनी योजनाओं में हमेशा असफल रहा और उसके अत्याचार बढ़ते ही गये। एक दिन हरिण्यकश्यप ने बालक प्रह्लाद से कहा कि तुम्हारे भगवान कहां हैं ? तो प्रह्लाद ने कहा कि वह तो अन्तर्यामी है और सर्वत्र व्याप्त है। इस पर हरिण्यकश्यप ने कहा कि वह इस खम्भे में भी हैं तो बालक बोला हां। इस पर  दैत्य राजा ने खम्भे पर प्रहार करना शुरू कर दिया। तभी भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार धारण कर खम्भा फाड़ कर बाहर आये। उनका आधा शरीर शेर का और आधा शरीर इंसान का था। उन्होंने ना रात-ना दिन यानि शाम के वक्त , ना घर के अंदर- ना घर के बाहर यानि घर की देहरी पर , हवा और धरती के बीच यानि अपनी गोद में लिटाकर , बिना अस्त्र शस्त्र के उपयोग से यानि अपने ही नाखूनों से  हिरण्यकश्यप के पेट को चीरकर मार डाला। इस तरह ब्रह्मा का वरदान भी झूठा साबित नही हुआ और हिरण्यकश्यप का वध भी हो गया। नृसिंह भगवान ने भक्त प्रहलाद को अर्शीवाद दिया कि जो भी आज के दिन मेरा व्रत रखेगा वह सभी प्रकार के कष्टों से दूर रहेगा. जीवन में सुख शांति बनी रहेगी।

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

Hz Add

Post Top Ad