मध्यप्रदेश
*आरक्षण के नियमों की अनदेखी*
_राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत निकाले गए पदों में अजीबोगरीब बंटवारा-ओबीसी हेमन्त साहू_
हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र द्वारा बैकलॉग रिक्त पदों के विरुद्ध 2850 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया है।जिसमें आरक्षण के हर नियम को ताक में रखकर केवल एक वर्ग विशेष को फायदा पहुँचाने की कोशिश की गई है।इसके बारे में ओबीसी महासभा बिरसा/बैहर जिला बालाघाट के सक्रिय कार्यकर्ता व ओबीसी महासभा जबलपुर संभाग के प्रभारी ओबीसी हेमन्त साहू ने बताया कि विज्ञापन में आरक्षण के हर गणितीय आँकडे को झुठला दिया गया है।अधिकारियों के द्वारा मनमर्जीपूर्वक आरक्षण का खेल खेला गया है।ऊपर से ओबीसी हितैषी होने का दावा करने वाले सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी ख़ामोश है।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को संचालित करने वाले पदाधिकारियों द्वारा पिछड़ा वर्ग के प्रति दुर्भावनापूर्ण मानसिकता के साथ कार्य करते हुए बैकलॉग के 2850 पदों में से ईडब्ल्यूएस (सवर्णों) के लिए 10% के स्थान पर 22.8%(जो अधिकतम 10% हो सकता है)एवं ओबीसी को 27% के स्थान पर मात्र 6.6% पद दिया गया है।
संदर्भित विज्ञापन में मध्य प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा दिनांक 13/5/21 को बैकलॉग रिक्त पदों के विरुद्ध 2850 कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर की भर्ती हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किया गया है।विज्ञापन में बैकलॉग पदों के विरुद्ध भर्ती होने के बावजूद अनारक्षित के लिए 355 एवं ईडब्ल्यूएस के लिए 652 पद आवंटित किया गया है।यहां पर विधिक प्रश्न उठता है कि बैकलॉग पदों के विरुद्ध भर्ती होने पर अनारक्षित पदों का आवंटन कैसे किया जा सकता है?इससे स्पष्ट होता है कि मध्य प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को संचालित करने वाले पदाधिकारियों द्वारा अनारक्षित व सवर्णों को पदों के नियोजन में अवैधानिक लाभ दिया गया है एवं पिछड़ा वर्ग के प्रति दुर्भावनापूर्ण मानसिकता के साथ कार्य किया जा रहा है।ज्ञात हो कि स्वास्थ्य विभाग के इस विज्ञापन में कुल 2850 पदों में से अनारक्षित 355,ईडब्ल्यूएस के लिए 652,अनुसूचित जनजाति के लिए 947,अनुसूचित जाति के लिए 266,एवं ओबीसी के लिए 189 पद को आवंटित किया गया है।ओबीसी हेमन्त साहू ने बताया कि मध्यप्रदेश में लागू नियम के अनुसार आरक्षण की स्थिति में अनुसूचित जनजाति के लिए 20%,अनुसूचित जाति के लिए 16%,ओबीसी के लिए 27% एवं ईडब्ल्यूएस के लिए 10% प्रावधान किया गया है।
सवर्णों के लिए आरक्षण का प्रावधान संविधान 103वें संशोधन के द्वारा 2019 में प्रावधान किया गया है।जिसको ईडब्ल्यूएस आरक्षण के नाम से जाना जाता है।ईडब्ल्यूएस के संबंध में स्पष्ट रूप से संविधान में कर दिया गया है कि यह 10% से ज्यादा नहीं हो सकता है।इसके बावजूद भी अधिकारियों द्वारा 10% से ज्यादा लागू किया जा रहा है।ईडब्ल्यूएस के लिए 652 पद अर्थात 22.8 प्रतिशत पद आवंटित किया जाना संविधान के अनुच्छेद 16(6) का स्पष्ट रूप से उल्लंघन दिखाई देता है एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश का संचालन करने वाले पदाधिकारियों का सवर्णं लोगों के लिए अवैधानिक लाभ पहुँचाने के वास्ते नियमो को ताक पर रखकर 10% के स्थान पर 22.8% पदों को आरक्षित किया गया है।जबकि ओबीसी के लिए 27% के स्थान पर सिर्फ 189 पद अर्थात 6.6% पदों का आवंटन किया गया है।इस बात से भी स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश को संचालित करने वाले पदाधिकारी पिछड़ा वर्ग के प्रति जातीय दुर्भावना से कार्य करते हैं।
ओबीसी को कुल 630 में से 441 सीटों का आवंटन आरक्षण संबंधी विचाराधीन प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार किया जाएगा। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा किसी भी प्रकरण में स्थगन आदेश जारी नहीं किया गया है।इसके बावजूद भी विज्ञापन में इस तरह के शर्त को लिखना पदाधिकारियों के मानसिकता को दर्शाता है कि वे लोग पिछड़ा वर्ग के प्रति दुर्भावनापूर्वक,पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं एवं संविधान में निहित समता के अधिकार के उल्लंघन में कार्य कर रहे हैं।ओबीसी हेमन्त साहू ने कहा कि अगर स्वास्थ्य विभाग की बात को थोड़ी देर के लिए मान भी लें कि 630 पद ओबीसी के लिए आवंटित किया गया है तो 2850 मे यह सिर्फ 22.1% ही है जबकि विधिक रुप से यह 27% होना चाहिए।यह तथ्य भी प्रमाणित करता है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालित करने वाले लोग पिछड़ा वर्ग के प्रति दुर्भावनापूर्ण भावना से ग्रसित होकर अपने को दिए कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं जो कि संविधान के अनु.14 में समता के अधिकार का उल्लंघन है।
मुख्यमंत्री महोदय जी क्या इस बात से अनभिज्ञ हैं,इस प्रकार के अधिकारियों द्वारा कार्य के प्रति लापरवाही उचित नही।ओबीसी महासभा मांग करती है कि ऐसे पदाधिकारियों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही होनी चाहिए।और अगर स्वास्थ्य विभाग के इस भर्ती पद में संशोधन नही किया जाता है, तो ओबीसी महासभा भविष्य में सड़क पर जरूर उतरेगी।ओबीसी वर्ग के संवैधानिक अधिकारों को इस प्रकार दबाया नही जा सकता।पदों का वितरण आरक्षण के नियमानुसार होनी चाहिए।
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