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Saturday, July 24, 2021

परंपरापूर्वक देश भर में मनाया गया गुरू पूर्णिमा पर्व



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


नई दिल्ली -- सर्वदेवमयी गौमाता भगवानों के भगवान और गुरूओं के भी गुरु है। हिन्दू धर्म में गुरूओं को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। गुरूपूर्णिमा महोत्सव गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है। भारत ऋषि मुनियों का देश है जहाँ गुरू की उतनी ही पूजा होती है जितनी भगवान की। भारतीय संस्कृति में गुरू को देवता तुल्य माना गया है।  जीवन में जिस तरह नदी को पार करनेके लिये नाविक पर , गाड़ी में सफर करते समय चालक पर , इलाज कराते समय चिकित्सक पर विश्वास करना पड़ता है , बिल्कुल उसी तरह जीवन को पार लगाने के लिये सद्गुरु भगवान की आवश्यकता होती है और उनके मिल जाने पर उन पर आजीवन विश्वास करना होता है।

            उक्त बातें आज गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर राष्ट्रीय गो सेवा संगठन के छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने गोभक्तों को वर्चुअल संबोधित करते हुये कही। प्रदेशाध्यक्ष ने आगे कहा कि जीवन में गुरु का होना अत्‍यंत आवश्यक है। सनातन धर्म में गुरु की महिमा का बखान अलग-अलग स्‍वरूपों में क‍िया गया है। सनातन परंपरा में गुरु को ईश्वर से भी ऊंँचा स्थान दिया गया है। इसमें गुरु का नाम ईश्वर से पहले आता है क्योंकि गुरु ही होता है जो आपको गोविंद से साक्षात्कार करवाता है, उसके मायने बतलाता है। गुरु की अग्नि भी शिष्य को जलाती नहीं है बल्कि उसे सही राह दिखाने का काम करती है। गुरु अपने शिष्यों को हर संकट से बचाने के लिये प्रेरणा देते रहते हैं इसलिये हमारे जीवन में गुरु का अत्यधिक महत्व है। हिंदू धर्म में गुरु और ईश्वर दोनों को एक समान माना गया है। गुरु भगवान के समान है और भगवान ही गुरु हैं। गुरु ही ईश्वर को प्राप्त करने और इस संसार रूपी भवसागर से निकलने का रास्ता बताते हैं। गुरु के बताये मार्ग पर चलकर व्यक्ति शान्ति , आनंद और मोक्ष को प्राप्त करता है। शास्त्रों और पुराणों में कहा गया कि अगर भक्त से भगवान नाराज हो जाते हैं तो गुरु ही आपकी रक्षा और उपाय बताते हैं।गुरूपूर्णिमा के बाद से चातुर्मास भी शुरू हो जाता है। इन चार माह में शिष्य अपने गुरु चरणों में उपस्थित रहकर शिव ज्ञान , शांति , भक्ति और योग शक्ति की शिक्षा प्राप्त करते हैं।

गौरतलब है कि इस वर्चुअल कार्यक्रम के अलावा गुरुपूर्णिमा के अवसर पर श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी में श्रद्धालुओं एवं शिष्यो ने पुरी शंकराचार्य जी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। महाराजश्री द्वारा संस्थापित संगठन धर्मसंघ पीठपरिषद् , आदित्यवाहिनी -आनन्द वाहिनी के द्वारा देश भर में इस अवसर पर गुरुपूजन , रुद्राभिषेक , वृक्षारोपण , फल वितरण आदि के साथ गुरुअर्चना की गयी । छत्तीसगढ़ में प्रांतीय कार्यालय श्रीसुदर्शन संस्थानम् रायपुर के अलावा धमतरी , महासमुंद , कवर्धा , मुंगेली , बिलासपुर , कोरबा , रायगढ़ , अंबिकापुर , जांजगीर - चांपा में शिष्यों ने कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुये घरों में गुरुपूजन के अतिरिक्त सामूहिक संगठन की ओर से भी आराधना , पूजन, सेवा प्रकल्प का आयोजन किया।

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