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Tuesday, May 17, 2022

खैरागढ़. भवन निर्माण के मटेरियलों की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी का असर अब भवन निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्यो में दिखने लगा है।

 


खैरागढ़. भवन निर्माण के मटेरियलों की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी का असर अब भवन निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्यो में दिखने लगा है। शहर सहित ग्रामीण इलाके में प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति के बाद भी आवेदको सहित निर्माण करने वालो ने निर्माण से हाथ खींच लिए है। ग्रामीण अंचलों में गरीबों को न तो पीएम आवास का लाभ मिल रहा है और न ही वे मकान बनाने में सक्षम है। ऐसे में गरीब तबके लोग न चाहते हुए भी झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में किसी तरह गुजर बसर करने मजबूर है। एक तरफ महंगाई की मार तो वहीं दूसरी तरफ पीएम आवास नहीं मिलने से गरीबों को दोहरी मार झेलना पड़ रहा है।

ग्रामीण अंचलों में गरीब लोग झुग्गी, झोपड़ी में निवासरत है। महंगाई की मार के कारण गरीब पक्का मकान नहीं बना पा रहे। लगातार बढ़ती महंगाई के बीच दिनभर रोजी-मजदूरी कर किसी अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में मकान बना पाना मुश्किल है। पक्का मकान बनाने के लिए छड़, रेत, गिट्टी, सीमेंट व ईंट की आवश्यकता होती है। लेकिन इन दिनों इन सामग्रियों की कीमत आसमान पर है। इसके कारण पक्का मकान बना पाना मुश्किल हो रहा है। पीएम आवास योजना के माध्यम से कच्चे मकान वालों को पक्का मकान का सपना भी अब पूरा नहीं हो पा रहा है।

शहर में पट्टे की आस लिए बैठे निवासी

शहर के दर्जन भर वार्डों में खुद का आवास बनाने का सपना देख रहे कई पात्र हितग्राही परिवार जमीन का पट्टा नही मिलने से निराश है। शहर के अधिकांश वार्डों में शासन ने अब तक पटटे का वितरण नहीं किया है। जिसके कारण कई पात्र हितग्राही भी आवास योजना का लाभ नही ले पा रहे है। नगरपालिका चुनाव के दौरान सरकार ने भूमिहीन पात्र हितग्राहीयों को पट्टा देने की घोषणा की थी। चुनाव को छह माह बितने के बाद भी पट्टा वितरण करने की पहल अब तक शुरू नही हो पाई है। जिसके कारण सैकड़ों परिवारों को आवास योजना का लाभ नही मिल पाया है।

नहीं ले रहे काम

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान निर्माण के लिए गरीब परिवार किसी राजमिस्त्री या ठेकेदार से निर्माण करानें का प्रस्ताव दे रहे है तो उसे कीमतों में बढ़ोत्तरी के कारण अटकाया जा रहा है। आवास योजना के हितग्राहियों से अतिरिक्त राशि की मांग की जा रही है। बताया गया कि पहले निर्माण कार्य करनें वाले स्वीकृत राशि में काम करने तैयार हो जाते थे। लेकिन मटेरियल के दामों के उछाल के बाद अब निर्माण कार्य करने वाले पीछे हट रहे हैं। वर्तमान में मकान की लागत निर्माण की स्वीकृति से डेढ़ गुना अधिक पड़ रही है। ऐसे में आवास निर्माण कराने वालो को अतिरिक्त राशि देने पड़ रहे हैं। नहीं तो उनके आवास का निर्माण कार्य अटक गया है।

वर्तमान में मकान बनाने में लगने वाले सामग्रियों की कीमतों में डेढ़ से दो गुनी बढ़ोत्तरी हो चुकी है। जिसके कारण मकान निर्माण प्रक्रिया अटक रही है। शहर में मकान के लिए लगभग 2 लाख 26 हजार रू की स्वीकृति मिलती है। इतनें में मटेरियल की दामों के हिसाब से अब मकान पूरा हो पाना संभव नही है। मकान निर्माण में लगने वाले छड़ की कीमतें 65 सौ प्रति क्विंटल से बढ़कर 76 सौ रू. तक पहुंच गई है। 250 प्रति बोरी में बिकने वाले सीमेंट के दाम फिलहाल 350 तक पहुंच चुके हैं। गिटटी की कीमतें भी 4 हजार प्रति टेक्टर से 5 हजार से अधिक हो चुका है। जबकि ईट की कीमतों में भी डेढ़ गुनी बढ़ोत्तरी हो चुकी है। अन्य सामानों के दर भी लगातार बढ़ रहे है। जिसके कारण मकान निर्माण करने वाले अब अपने हाथ खींच रहे है।

*सीएनआई न्यूज़ खैरागढ़ से सोमेश कुमार की रिपोर्ट*

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