गांव तक नहीं पहुंच पाई एंम्बुलेंस, मरीज को कंधे के सहारे कराया नदी पार लेट लतीफी ने ले ली जान।
छुरिया- तहिर खान:- गड़़बो नवा छत्तीसगढ़़ की कहानी खुज्जी विधानसभा क्षेत्र के छुरिया ब्लॉक मुख्यालय से 11 किमी की दुरी पर स्तिथ आने वाले ग्राम पंचायत गेरूघाट के आश्रित ग्राम किडकाडिटोला में विकास ढुंढने में भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। ये हम नहीं हमारा सिस्टम कह रहा है? जिसके चलते ही एक 17 वर्षीय बालक को अपनी जान गंवानी पड़ी। इन दिनों लगातार क्षेत्र में तेज बारिश के चलते खेत खलिहान नदी नाले उफान पर है। ऐसे परिस्थिति में खासकर वनांचन क्षेत्रों के ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं राजनांदगांव जिले के चर्चित व सबसे बड़ा विकासखंड छुरिया अंतर्गत वनांचल ग्राम पंचायत गेरुघाट की। जहां विकास के सारे दावे फेल नजर आते हैं। शासन प्रशासन हमेशा वनांचल क्षेत्र में चहुंमुखी विकास का ढिंढोरा पीटते रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती हैं। जिसमें ग्रामीणों को मुलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं हो पा रही है। ग्रामीणों से सम्पर्क करने पर बताया कि गाँव मे ढंग से सड़कें नही हैं, नदी है लेकिन पुलिया निर्माण की कोई योजना नही, छोटे छोटे बच्चे बारिश के दिनों में नदी को पार कर स्कूल जाते हैं, ज्यादा बारिश होने पर कई दिनों तक स्कूल भी नही जा पाते। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दर्जनों लोगों की मौत हो जाती है। जिसका जीता जागता उदाहरण आप इस खबर में पढ़ रहे हैं।
आजादी के 74 साल बाद भी गाँव में एम्बुलेंस नहीं पहुँचती
भारत को आजाद हुए 70 साल हो गए लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं जिनकी तस्वीरें नही बदली है। हम बात कर रहें हैं राजनांदगांव जिले के वनांचल ब्लाक छुरिया के ग्राम पंचायत गेरुघाट के आश्रित ग्राम किड़काडीटोला के निवासी रोशन कोमरे पिता सुदधू राम कोमरे उम्र 17 वर्ष को बुखार था।और उनके अचानक बेहोश होने से ग्रामीणों ने आनन फानन में तत्काल एम्बुलेंस बुलाया। पर किड़काडीटोला पहुंचने के लिए नदी पार करना पड़ता है। और नदी में पुल न होने के वजह से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पायी। जिससे एंबुलेंस गांव से लगभग 02 किलोमीटर दूर में खड़ी रह गई। वहीं ग्रामीणों ने कंधे के सहारे मरीज को नदी पार कराया और दो किलोमीटर पैदल चल एंबुलेंस तक पहुंचाया। मरीज को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरिया में भर्ती कराया गया है जहां उनका प्राथमिक इलाज कर स्थिति को देखते हुए राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज रिफर कर दिया गया। जहां बीच रास्ते मे ही नवयुवक ने दम तोड़ दिया।
कांग्रेस और भाजपा के वनांचल क्षेत्र में विकास के दावों की खुली पोल।
छुरिया ब्लाक मुख्यालय से महज 11 किमी. कि दूरी पर ग्रामीणों के इस दिल दहला देने वाली तस्वीरों से शासन प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह लग गया है? क्या यही है गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ ? जहां स्कुली बच्चों को जान जोखिम डाल नदी पार कर शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है? बीमार व्यक्ति तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पा रही है ? कीचड़ से सराबोर सड़कें ? इन तमाम प्रकार की समस्याओं से ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ रहा है। ग्रामीणों की समस्याओं के गहराई में जाएं तो किड़काडीटोला के अलावा इन्हीं वनांचल क्षेत्रों के गांवों में छोटे छोटे बच्चे जान जोखिम डाल नदी पार करते हैं। ग्रामीणों को अनगिनत गंभीर मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। और शासन प्रशासन आज तक ग्रामीणों के समस्याओं का हल नहीं कर पाई आखिर कब तक ? जिस विश्वास के साथ ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों को चुना लेकिन क्षेत्र के जनप्रतिनिधि आज तक सिर्फ अपनी जेब भरने में और बड़ी बड़ी महल तैयार करने में लगा दिए हैं। चाहे पाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टी के नेताओं ने आजतक सिर्फ बड़ी बड़ी दावे करते नजर आए हैं। वास्तव में विकास होती तो रोशन जैसे अनेकों नवयुवकों को अल्पायु में ही अपने प्राण गवाने नही पड़ते।
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