रिपोर्टर बैजनाथ पटेल बेलगहना (कोंचरा )
कोटा ब्लाक के आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत कोंचरा में गौरा गौरी कार्यक्रम बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनपद पंचायत कोटा महिला एवं बाल विकास सभापति श्री कन्हैयालाल गंधर्व रहे उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के परंपरा को बनाए रखना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है छत्तीसगढ़ के परंपरा कर्मा,ददरिया, सुआ, पंथी, रावत नाच, डंडा नाच यह हमारी छत्तीसगढ़ की पहचान है जो धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहा है गौरा (शिव) गौरी (पार्वती )को समर्पित है इस पूजा में हिंदू धर्म के सभी जाति समुदाय के लोग शामिल रहे
*गौरा गौरी कैसे मनाया जाता है*
गांव के महिलाएं एवं पुरुष पारंपरिक बाजा मांदर की थाप में नाच गान के साथ जाते हैं और एक पवित्र स्थान पर पूजा करते हैं उनके बाद उसी स्थान की मिट्टी लेकर आते हैं और उस मिट्टी से शिव पार्वती गौरी गौरा की मूर्ति बनाते हैं मूर्ति में गौरा की बैल सवारी और गौरी कछुआ की सवारी करता है मूर्ति बनाने के बाद लकड़ी के पीढ़हे आसन पर उन्हें रखकर सजाया जाता है
इस उत्साह मे गांव के बैगा के द्वारा अपने इष्ट देवी देवताओं के पूजा किया गया और इस पूजा के चावल से चढ़ावा बनाया गया पूजा मे शिव पार्वती विवाह गीत गाया
पारंपरिक रस्म के साथ रात्रिकालीन में गौरा गौरी परघनि के लिए पारंपरिक गीत एवं मांदर के थाप के साथ झूमते नाचते गाते गौरा गौरी को परघाया गया फिर रात्रिकालीन में संस्कृतिक कार्यक्रम गौरा गौरी झांकी प्रदर्शन किया गया कार्यक्रम का मुख्य आयोजक आदिवासी समाज प्रमुख गोरेलाल खुसरो त्रिभुवन सिंह चतुर सिंह, विमलेश कुमार श्याम, एवं समस्त ग्रामवासी की युवाओं का सहयोग रहा
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