गौरेला पेंड्रा मरवाही— मरवाही चर्चेड़ी में आयोजित एन एस एस शिविर कार्यक्रम में युवाओं का लोकतंत्र में भागीदारी का आव्हान शुभम पेन्द्रों ने किया इन्होंने इसकी भूमिका व महत्व को युवाओं के समक्ष संबोधित करते हुये रखा पेन्द्रों ने कहा किसी भी देश में बदलाव या क्रांति के वाहक युवा ही होते हैं और हमारे देश में इस समय युवाओं की संख्या बहुत अधिक है उन्होंने कहा कि बड़ा सवाल यह भी है कि देश में सबसे ज्यादा आबादी नौजवानों की है और युवा ही किसी भी देश में क्रांतिकारी परिवर्तन का वाहक हो सकता है। अमूमन 15 वर्ष से 40 वर्ष के आयु के नागरिक युवाओं की श्रेणी में आते हैं और उनकी जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर युवाओं के सवालों के जवाब भी पेन्द्रों ने दिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम चिकित्सकों को ठीक करके अस्पताल दुरुस्त कर सकते हैं, उसी तरह से विधानसभा में आने वालों को ठीक करके हम अपने विधायी सदनों को और बेहतर बना सकते हैं। यह जिम्मेदारी भी युवाओं की है।
उन्होंने देश की पुरातन शिक्षा पद्धति का महत्व समझाते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद सबसे बड़ी दिक्कत शिक्षा व्यवस्था को लेकर हुयी। शिक्षा को हमने 'टारगेट ओरिएंटेड' बना दिया, यानी हमने शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास किया, जिससे हम शिक्षा प्राप्त करने के बाद हम कर्मचारी (एम्प्लायी) बन सकें। उन्होंने कहा कि इसी देश में मैकाले की शिक्षा पद्धति लागू होने के पहले युवा विख्यात नालंदा विश्वविद्यालय और इसी तरह के अन्य विश्वविद्यालयों तथा विद्यालयों में शिक्षा हासिल करते थे। लेकिन नयी शिक्षा पद्धति आने के बाद इन सबको बंद कर दिया गया।
पेन्द्रों ने कहा कि किसी भी राजनैतिक दल की विचारधारा समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान की ही है। सभी दल यही बात करते हैं। अलबत्ता उसके क्रियान्वयन या नतीजों को लेकर सवाल उठ सकते। लेकिन गरीबों के हित की बाते कोई मुखरता से नही रख पाता आप सभी युवाओं को लोकतंत्र में विश्वास करते हुए अपनी बातें व हकों की बात मुखरता से उठाना चाहिए जिससे आप लोकतंत्र को और भी मजबूत बना सकते है।
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