हाल ए राजनांदगांव, खैरागढ़, डोंगरगढ़ विधानसभा
बेहाल-बीजेपी ने चले हुए कारतूसों को टिकट देकर हार मानी।
क्या कार्यकर्ता काबिल नही! परिवारवाद की नदी में डूबेगी भाजपा की नैय्या। - विप्लव साहू
भाजपा ने इस चुनाव में लगभग पराजय स्वीकार कर लिया है। भूपेश सरकार के पांच साल के उजले कार्यकाल के चलते उन्हें कुछ नया सूझ नही पाया। तभी बीजेपी ने सभी घिसे-पीटे और थके-हारे लोगो को थोक में टिकिट दिया है। सब के सब चले हुए कारतूस है जिनमे अब कोई गोली नही बची। ये वही लोग हैं जिनकी करतूतों से पिछले चुनाव में 15 सीटों पर आ गिरी थी। इनकी पूरी उम्मीद केंद्र सरकार के लोकतंत्र विरुद्ध काम करने वाली "जोड़ी" पर निर्भर है जो अपने चालबाजी के नये पैंतरों के लिए जाने जाते हैं।
खैरागढ़ और राजनांदगांव विधानसभा में स्थानीय लोगों को नजरअंदाज करते हुए मामा-भांजा को टिकट दिया गया है। जब यही लोग पिछले 20-25 साल से विभिन्न पदों पर राज करेंगे तो बाकी कार्यकर्ता क्या सिर्फ ताली बजाएंगे! दूसरे काबिल लोगों को साइड करके ये लोग सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षा पोषित करने और राज करने के लिए ही राजनीति करते हैं। इससे साबित होता है कि इनके नजरों में लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं है। इनकी ही पार्टी में कोई लोकतंत्र नही है, इनके ही पार्टी के कार्यकर्ता इनके पास डरते हुए खड़े होते हैं।*
खैरागढ़ विधानसभा से जब टिकट का आबंटन हुआ तो उत्साही भावना लेकर लड़कपन सोंच वाले कुछ लोग उनकी तरफ आ रहे थे। जैसे गांव में आई नई दुल्हन को देखने लोग आते हैं, यह स्वाभाविक रहता है। लेकिन कुछ समय उपरांत दुल्हन की प्रशंसा उसके काम और गुण के आधार पर ही होता है। 20 साल प्रदेश और तमाम पदों में राज करने के बाद वे बताएं कि क्षेत्र के लिए उन्होंने क्या विकास कार्य किये हैं? अभी तो ये लोग स्टीरियो टाइप छवि से लोगों को बहकाने में लगें है।*
डोंगरगढ़ विधानसभा में भी बहुसंख्यक समुदाय को नजरअंदाज करते हुए 10 साल से स्थानीय राजनीति और गतिविधि से बाहर रहे चेहरे को टिकट दिया गया। जनता और स्थानीय कर्मठ लोगों के मनोबल को तोड़ने का काम किया है। बीजेपी को जनता को जवाब देना पड़ेगा की 10 वर्ष पूर्व उनकी टिकट क्यों काटी थी। ये सबको बेवकूफ समझते हैं, जबकि भाजपा के ही कार्यकर्ता इससे व्यथित और दुखी है, इनके प्रत्याशी की घोषणा होते ही विरोध के स्वर फूटने लगे।
लेकिन छत्तीसगढ़ और अविभाजित राजनांदगांव जिले की जनता इस बार फिर इनके झूठ के दलदल में नही आएगी। इनके साम-दाम-दंड-भेद के सारे प्रलोभन और दांव-पेंच को तोड़कर इनके महत्वाकांक्षा और परिवारवाद को खत्म करने के लिए तत्पर है।
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