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Tuesday, July 2, 2024

नया कानून: अब गंभीर अपराध में कोर्ट के बाहर समझौता करना नहीं होगा आसान,

 नया कानून: अब गंभीर अपराध में कोर्ट के बाहर समझौता करना नहीं होगा आसान,





रंजीत बंजारे CNI न्यूज़ बेमेतरा संबलपुर चौकी क्षेत्र अंतर्गत ग्राम वासियों व कोटवारो की बैठक ले कर चौकी प्रभारी रेशम लाल भास्कर ने नया क़ानून के संबंध में बताया 1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) होगी।





नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)  1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हो रहे हैं।


 ये कानून क्रमशः भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त और प्रतिस्थापित करेंगे।

आईपीसी में 511 धाराएं थी लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी। धाराओं का क्रम बदला गया है।

आज 30 जून रात 12बजे के बाद यानी एक जुलाई की शुरुआत के साथ देश में नया कानून लागू हो गया है। रात 12 बजे के बाद जो भी आपराधिक घटनाएं होंगी, उनमें नए कानून के अनुसार प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। नए कानून में वैसे तो बहुत बदलाव हुए हैं, खास बात यह भी है कि संगीन अपराधों में सत्र परीक्षण के दौरान आरोपी डरा-धमकाकर व लालच आदि के दम पर समझौते कर लेते हैं और फिर पीड़ित व गवाह मुकर जाते हैं, अब यह आसान नहीं होगा। अब पुलिस के लिए विवेचना में घटनास्थल पर पहुंचने से लेकर हर कदम पर वीडियो रिकार्डिंग व वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित करने की बाध्यता है और अदालत में ट्रायल के दौरान मजबूत साक्ष्य होंगे।



1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) होगी। आईपीसी में 511 धाराएं थी लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी। धाराओं का क्रम बदला गया है। सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कहलाएगी। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं। नए कानून में अब इसमें 531 धाराएं होंगी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के नाम से जाना जाएगा। पुराने अधिनियम में 167 प्रावधान थे। नए में 170 प्रावधान हो गए हैं। इनमें डिजिटल साक्ष्यों का महत्व बढ़ाया गया है।


विवेचना में वीडियो साक्ष्य बेहद जरूरी पुलिस अब तक घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य संकलन व पब्लिक के किसी भी गवाह के बयान अपने अनुसार लिख लेती थी। मगर अब सब कुछ वीडियो कैमरे की निगरानी में होगा। इससे अदालत में इन साक्ष्यों को झुठलाया नहीं जा सकेगा और न ही उनमें किसी तरह का हेरफेर किया जा सकेगा।

एक जुलाई से दर्ज मुकदमों का ट्रायल नए कानून से

नए कानून के अनुसार जो मुकदमे दर्ज होंगे, उनका ट्रायल भी नए कानून से होगा। जो मुकदमे 30 जून की रात 12 बजे के पहले पुराने कानून से दर्ज होंगे। उनका ट्रायल पुराने कानून से ही होगा। 


अब गवाह को ऑनलाइन सामने -गवाही की सहूलियत

नए कानून में सबसे अधिक सुविधा गवाह व वादी को दी गई है। अगर गवाह को सूचना नहीं मिल पा रही है तो वह व्हाट्सएप पर मिलने वाले समन व वारंट को भी प्राप्त होना माना जाएगा। अगर वह नहीं आ पा रहा है तो जिस जिले में मौजूद है, वहां के न्यायालय के वीडियो कान्फ्रेसिंग सेंटर से ऑनलाइन गवाही दे सकता है। 



नए कानून में बहुत से ऐसे बदलाव हुए हैं, जो संगीन मामलों में अपराधियों के लिए मुश्किल भरे हैं। जिनमें वीडियो व वैज्ञानिक साक्ष्यों के चलते अब अदालत के बाहर समझौता करना आसान नहीं होगा। 

पुलिस के विवेचकों को नए कानून को लेकर प्रशिक्षण दिया गया है। साथ में मुंशियानों में काम करने वाले स्टाफ को भी प्रशिक्षण दिया है।



दुष्कर्म में पीड़ित की मृत्यु व अपंगता पर मृत्युदंड की सजा होगी पहले से हत्या में सजायाफ्ता को दूसरी हत्या में उम्रकैद या मृत्युदंड


-दुष्कर्म-छेड़खानी पीड़िता के बयान महिला मजिस्ट्रेट ही दर्ज करेंगी--महिला मजिस्ट्रेट न होने पर किसी महिला कर्मी की मौजूदगी जरूरी


-अब किसी भी घटनास्थल का मुकदमा किसी भी थाने में दर्ज हो सकेगा  -ऑनलाइन-व्हाट्सएप के जरिये भेजी तहरीर पर दर्ज करनी होगी रिपोर्ट


महिला और बाल अपराध में दो माह में करनी होगी विवेचना पूर्ण

-अब जेल जाने के 40 दिन के अंदर पीसीआर लेने की सुविधा तय ---गवाह या वादी को व्हाट्सएप पर ही समन-वारंट भेजा जाना मान्य

-हर घटना की जांच में वीडियो फुटेज-वैज्ञानिक साक्ष्य पहले दिन से करने होंगे तैयार, केस डायरी में भी होंगे शामिल


-घटनास्थल, बरामदगी, पब्लिक की गवाही, वादी की गवाही, पीसीआर पर बरामदगी के बनाने होंगे वीडियो फुटेज

धाराओं में ये होगा बदलाव

महिला संबंधी अपराध 

आईपीसी-बीएनएस

354-74

354ए-75

354बी-76

354सी-77

354डी-78

509-79

चोरी संबंधी अपराध

आईपीसी-बीएनएस

379-303(2)

411-317(2)

457-331(4)

380-305

लूट संबंधी अपराध

आईपीसी-बीएनएस

392-309(4)

393-309(5)

394-309(6)

हत्या-आत्महत्या संबंधी अपराध

आईपीसी-बीएनएस

302-103(1)

304(बी)-80(2)

306-108

307-109

304-105

308-110

धोखाधड़़ी संबंधी अपराध

आईपीसी-बीएनएस

419-319(2)

420-318(4)

466-337

467-338

468-336(3)

471-340(2)

नोट- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)-भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)



 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। आपराधिक कानून में बदलाव के साथ ही इसमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल जाएगा। देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन आपराधिक कानून 1 जुलाई से बदल गया है दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित तीन कानून अगले महीने से पूरे देश में प्रभावी हो जाएंगे। तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) का स्थान लेंगे। 

कानूनों में प्रभावी होने के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल जाएगा। आइये जानते हैं आईपीसी की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में? नए कानून में इन्हें किस क्रम में रखा गया है? वे पहले किस स्थान पर थीं।  पहले जानते हैं कि भारतीय न्याय संहिता में क्या बदला है।

भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।


बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी। राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।


 बदलाव

धारा 124: आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान रखती थी। नए कानूनों के तहत 'राजद्रोह' को एक नया शब्द 'देशद्रोह' मिला है यानी ब्रिटिश काल के शब्द को हटा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में 'देशद्रोह' को रखा गया है।


धारा 144: आईपीसी की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होना के बारे में थी। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है।

धारा 302: पहले किसी की हत्या करने वाला धारा 302 के तहत आरोपी बनाया जाता था। हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को धारा 103 के तहत सजा मिलेगी। नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा। 

धारा 307: नए कानून के अस्तित्व में आने से पहले हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी। अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है। 

धारा 376: दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को पहले आईपीसी की धारा 376 में परिभाषित किया गया था। भारतीय न्याय संहिता में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है। नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है। वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी को नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है।


धारा 399: पहले मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी। नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि में इसे जगह दी गई है। मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है। 


धारा 420: भारतीय न्याय संहिता में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध 420 में नहीं, अब धारा 318 के तहत आएगा। इस धारा को  भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।

तीन नए आपराधिक कानून - 

सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में क्या बदलाव?

दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है। सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है। वहीं, नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं। इस अवसर पर संबलपुर सरपंच आशा कुर्रे, जनपद पंचायत सदयस्त डॉ प्रेमू वर्मा, चौकी प्रभारी रेशम लाल भास्कर, स्टॉफ मनोज यादव,अजय बंजारे,संजय भगत, धनंजय, क्षेत्र वासी,गंगा राम साहू,व अन्य मौजूद रहे।

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