प्रदेश में मानिकपुरी पनिका समाज का एक संगठन,एक नेतृत्व,एक विधान,एक पहचान के संकल्पित संकल्प को पूरा करने समस्त संगठन प्रमुख अपने अहम् का परित्याग
कर अपनी नेक नियति का परिचय देते हुए भावी पीढ़ी के स्वर्णिम भविष्य को मूर्त रूप देने सामाजिक आदर्श प्रस्तुत करें! आज समय का है यही तकाजा
डॉ, ललित कुमार मानिकपुरी
रायपुर। विगत दिनों दिनांक 24 11 2024 एवं दिनांक 8 दिसंबर 2024 को श्री सद्गुरु कबीर आश्रम गुरु बालापीर धाम महादेव घाट रायपुर में मानिकपुरी पंनिका समाज के विभिन्न संगठनों यथा छत्तीसगढ़ मानिकपुरी पनिका समाज, भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज,प्रांतीय मानिकपुरी पंनिका समाज छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय पनिका महासमिति छत्तीसगढ़ का मैराथन बैठक प्रदेश में एक समाज,एक संगठन,एक नेतृत्व,एक विधान, एक निशान,पहचान
को लेकर संपन्न हो चुका है। जिसमें सभी संगठन प्रमुखों ने अपने अपने अपने पांच-पांच नामजद पदाधिकारियो के साथ बैठक में सम्मिलित होकर विचारों का आदान प्रदान किया था।तदोपरांत चर्चा का निष्कर्ष यह रहा कि,प्रदेश में भिन्न भिन्न संगठनों में बंटा हुआ मानिकपुरी पनिका समाज को संगठनात्मक रुप से फौलादी एकता के रूप में तब्दील करने समाज के आर्थिक सामाजिक,शैक्षणिक,धार्मिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक उद्देश्यो की प्रतिपूर्ति हेतु उपरोक्त अवधारणा को पूरा करना होगा तभी समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के हितों का संरक्षण व संवर्धन होगा।और तभी भावी पीढ़ी के स्वर्णिम भविष्य को नया आयाम देगा। इस तारतम्य में 3 संगठनों ने किसी एक सर्वमान्य संगठन छत्तीसगढ़ पनिका समाज के नाम पर एक मत होकर परस्पर सहमति जताते हुए अपने अपने अपने संगठनों को समाज हित में विलय की घोषणा किए थे किंतु उसमें शर्त यह था कि,जब तक सभी संगठन प्रमुख एक मंच पर आकर स्वेच्छा से समाज हित में लिखित में त्याग पत्र नहीं दे देते तब तक प्रदेश में सामाजिक एकता का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा। अंततः उक्त बैठक का निष्कर्ष रहा है,ढाक के तीन पात । क्योंकि बैठक में उपस्थित भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज का शीर्ष नेतृत्व डॉ,शीतल दास मानिकपुरी जी एवं उनके साथ आये उनके प्रमुख पदाधिकारियों ने तीन संगठनों के निर्णय को अस्वीकार करते हुए यह कहा कि,यदि भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज का नाम व पंजीयन क्रमांक 13360/83 को सर्व मान्य नहीं किया जाता तो हमारा संगठन विलय की घोषणा नहीं करेगा और न ही संगठनात्मक चुनाव में भाग लेगा। इस तरह का कथन कर वे सब बैठक से बहिर्गमन कर गये जो प्रदेश में सामाजिक एकता के दृष्टिकोण से सिफर रहा है जो कि हम सबके लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि हमने प्रदेश में संगठनात्मक एकता के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के नारे को संदर्भित करते हुए यह कहा था कि,एक भी टीका छूटा तो सुरक्षा चक्र टूटा, जिसका अभिप्राय है यह है कि प्रदेश में हमारे समाज का सभी संगठन व उससे संबद्ध हमारे सामाजिक जन हमारे अपने हैं तब वे हमसे विलग क्यों? क्योंकि संगठन के एक ही नाम पुरखों के धरोहर की दुहाई देकर समझौते से विमुख होने के नेपथ्य में उनकी मानसिकता क्या है समझ से परे है। जबकि भारत सरकार ने कालांतर के अनेक नामों को राष्ट्र हित में बदलाव कर अन्य नाम दिया गया है यथा,मद्रास,को चेन्नई,बंबई को मुंबई,पूना को पुणे,कलकत्ता को कोलकाता आदि। इसी तरह के अन्य उदाहरण लेवें तो ज्ञात होगा कि, वर्ष 1980 में कबीर धर्म नगर दामाखेड़ा के धर्माचार्य पंथश्री हुजूर गृधमुनीनाम साहेब जी द्वारा अनुमोदन पश्चात सामाजिक हितार्थ राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज संगठन का पंजीयन अविभाजित मध्यप्रदेश में हुआ था किंतु उक्त नाम का बदलाव वर्ष 1983 में भारतीय मानिकपुरी (पनिका) समाज के नाम पर कर दिया गया था, जिसका पंजीयन क्रमांक 13360/83 है,जिसके समस्त राष्ट्रीय पदाधिकारियों में अनेकों पदाधिकारी आज दिवंगत हो चुके हैं तो वहीं उक्त संगठन से संबद्ध रहे अनेक दिग्गज सामाजिक जन अपने पुरखों के बनाये गये संगठन से पृथक होकर अन्य संगठनों के आज पदाधिकारी बन चुकें हैं क्यों ? ऐसी स्थिति में आज उनकी निष्ठा कहा रहीं स्वयं सिद्ध है। इस तरह भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के वर्तमान पदाधिकारियों के बयानात सिवाय उनकी एकला चलो व हठधर्मिता के अलावा कुछ नहीं प्रतीत होता है।
एक उदाहरण यह भी है कि,फरवरी वर्ष 2023 में प्रदेश में ,एक समाज, एक संगठन, एक नेतृत्व, एक विधान,एक निशान, एक पहचान की संकल्पित भावना को लेकर सरगुजा जिला स्थित गंगापुर कबीर आश्रम अंबिकापुर में प्रदेश स्तरीय बैठक आयोजित था जहां भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के शीर्ष राष्ट्रीय पदाधिकारी यथा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विद्या विनोद महंत जी,पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शीतल दास महंत जी,राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शंकर दास महंत जी,राष्ट्रीय महासचिव सहित रायपुर महानगर अध्यक्ष श्री प्रेम दास मानिकपुरी जी, संगठन के संस्थापक श्री घासीदास मानिकपुरी जी के साथ मैं प्रदेश अध्यक्ष प्रांतीय मानिकपुरी पनिका समाज छत्तीसगढ़ की हैसियत से मौजूद था जहां मैंने अपने सामाजिक उद्बोधन में यह कहा था कि, प्रदेश में एक समाज, एक संगठन एक नेतृत्व एक विधान एक पहचान एक निशान की अवधारणा को सिद्ध करने समाज के सबसे पुराने संगठन भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज संगठन में अपने संगठन को समाज हित में विलय को तैयार हूं।तब उपस्थित सरगुजा संभाग के सामाजिक जन व पदाधिकारियों के साथ भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने मेरे उक्त प्रस्ताव पर करतल ध्वनि से ताली बजाकर,फूल मालाओं से मेरा हार्दिक स्वागत कर हर्ष व्यक्त किए थे जिसके चश्मदीद गवाह सरगुजा संभाग के समस्त जिला अध्यक्ष गण रहे हैं।तब मेरे उद्घोषणा पश्चात माननीय डॉ, शीतल दास महंत जी ने कहा था कि,शीघ्र ही बिलासपुर में संगठन के कोर कमेटी की बैठक आयोजित कर प्रदेश अध्यक्ष के रुप में मेरी ताजपोशी की जावेगी किंतु आज दो वर्ष व्यतीत हो चुके न ही भामापस संगठन ने अपना राष्ट्रीय पदाधिकारी होने का अपना कर्तव्य निभाया और ठीक इसके विपरित उक्त संगठन के शीर्ष नेता डॉ,शीतल दास महंत जी ने पिछले दिनों स्वयं कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनकर प्रदेश के अनेक जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कर दी।यह किस तरह से प्रतिष्ठित सामाजिक संगठन के क्रिया कलाप है प्रदेश के सामाजिक जन चिंतन करें।इस तारतम्य में जब प्रदेश स्तर पर प्रदेश की राजधानी रायपुर में दिनांक 24, 11,2024 को एक दूसरा प्रयास हुआ है तब उसी संगठन के सम्माननीय पदाधिकारियों का वही हठधर्मिता बनाये रखना दुर्भाग्यजनक कार्यवाही है। यह भी सत्य है कि,यदि भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज अपने पूर्व के वचनों पर आज कायम होते तो संभव था आज प्रदेश में मानिकपुरी पंनिका समाज का सामाजिक संगठन परिदृश्य कुछ अलग ही होता। तथा यह संगठन एक सशक्त सामाजिक संगठन के रूप में तब्दील हो गया होता तथा निश्चित रुप से हमारे समाज का विकास एवं प्रगति को नया आयाम मिलता।
उपरोक्त तारतम्य में मैं पुनः प्रदेश के हमारे सामाजिक संगठनों के शीर्ष नेतृत्व से सादर अनुरोध करता हूं कि,वे अपने मनभेद को दिलो दिमाग से बाहर कर सामाजिक सद्भाव,प्रेम,मैत्री, भाईचारा,समता,एकता के सुखद वातावरण में प्रदेश में सामाजिक एकता को फौलादी एकता के रूप में तब्दील कर भावी पीढ़ी के स्वर्णिम भविष्य के सपनों
को साकार करने अग्रणी भूमिका निभाएं अन्यथा आज का जागरुक युवा पीढ़ी हमारे कथनी करनी को स्वीकार न कर समय आने पर समाज हित में युक्ति युक्त निर्णय लेगा तथा हम मुकदर्शक बने रहेंगे। तो आइए, हम सब एक होकर समाज हित में नेक निर्णय लेकर एक पुण्य का भागीदार बनते हुए एक सामाजिक आदर्श प्रस्तुत करें ।
विशेष:- प्रदेश के सभी सामाजिक जनों से यह सादर अनुरोध है कि वे,सामाजिक संगठनों के क्रिया कलापों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए समाज हित में जागरूक एवं सचेत रहें तथा समाज हित में रचनात्मक कार्य को प्रोत्साहित करें। क्योंकि,प्रदेश में एक समाज, एक संगठन ,एक नेतृत्व, एक विधान ,एक निशान, एक पहचान तभी मूर्त रूप लेगा जब तक हम सबके सूरों में एकता का गूंजायमान हो। इसी परिप्रेक्ष्य में मैं यह भी कहना चाहूंगा कि,अभी सर्व संगठनों का विलय भा,मा,प,स,के लंबित निर्णय के परिप्रेक्ष्य में विलय न माने तथा वर्तमान सभी संगठन पूर्ण रूपेण अपने अस्तित्व में बने रहेंगे। जब तक की प्रदेश में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव संपन्न नहीं हो जाते।
आपका, डॉ, ललित कुमार मानिकपुरी,
प्रदेश अध्यक्ष,
प्रांतीय मानिकपुरी पंनिका समाज छत्तीसगढ़।
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब।
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