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Friday, January 31, 2025

बालीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी हुई किन्नर अखाड़े से निष्कासित

 बालीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी हुई किन्नर अखाड़े से निष्कासित 



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


प्रयागराज - किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने बालीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से निष्कासित कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को भी किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया है , 



क्योंकि उन्होंने देशद्रोह की आरोपी ममता कुलकर्णी को अखाड़े में शामिल किया था और उनकी जानकारी के बिना उन्हें महामंडलेश्वर बनाया था। अजय दास ने आज ऐलान किया है कि अब नये सिरे से किन्नर अखाड़े का पुनर्गठन होगा , साथ ही जल्द ही नये आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान होगा। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने कहा कि वर्ष 2015-16 के उज्जैन कुंभ में डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था , मैं इस पद से उन्हें मुक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि जल्द ही उन्हें इसकी लिखित सूचना दे दी जायेगी। अजय दास ने कहा कि जिस धर्म प्रचार-प्रसार और धार्मिक कर्मकांड के साथ ही किन्नर समाज के उत्थान आदि के लिये उनकी नियुक्ति की गई थी और वे उस पद से सर्वथा भटक गये हैं। ऋषि अजय ने किन्नर अखाड़ा के प्रयागराज कुंभ 2019 के मामले का जिक्र करते हुये कहा कि बिना मेरी सहमति के जूना अखाड़ा के साथ एक लिखित अनुबंध 2019 के प्रयागराज कुंभ में किया। यह अनैतिक ही नहीं , बल्कि एक प्रकार की 420 है। बिना संस्थापक के सहमति और हस्ताक्षर के जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा के बीच का अनुबंध कानून के अनुकूल नहीं है। अनुबंध में जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़ा संबोधित किया है। इसका अर्थ है कि किन्नर अखाड़ा 14 अखाड़ा उन्होंने स्वीकार किया है। इसका अर्थ यह है कि सनातन धर्म में 13 नहीं , केवल 14 अखाड़े मान्य हैं। यह बात अनुबंध से स्वयं सिद्ध है। किन्नर अखाड़ा को लेकर आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने असंवैधानिक ही नहीं बल्कि सनातन धर्म और देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसे देशद्रोह के मामले में लिप्त महिला जो फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी है , उसे बिना किसी धार्मिक और अखाड़े की परंपरा को मानते हुये वैराग्य की दिशा के बजाय सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि और पट्‌टाभिषेक कर दिया। इस कारण मुझे आज बेमन से मजबूर होकर देशहित , सनातन और समाज हित में उन्हें पदमुक्त करना पड़ा। किन्नर अखाड़े के नाम का असंवैधानिक अनुबंध जो जूना अखाड़े के साथ कर किन्नर अखाड़े के सभी प्रतीक चिह्नों को भी क्षत-विक्षत किया गया है। यह ना तो जूना अखाड़े के सिद्धांतों के अनुसार चल रहे हैं , ना किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों के। उदाहरण के लिये किन्नर अखाड़े के गठन के साथ ही वैजयंती माला गले में धारण कराई गई थी , वह श्रृंगार की प्रतीकात्मक है। उन्होंने उसे त्याग कर रुद्राक्ष की माला ध्णारण कर ली , यह सन्यास का प्रतीक है। सन्यास बिना मुण्डन संस्कार के मान्य नहीं होता है। इस प्रकार यह सनातन धर्म प्रेमी और समाज के साथ एक प्रकार का छलावा कर रहे हैं , इसलिये इन जानकारी को जनहित और धर्महित में दिया जा रहा है। गौरतलब है कि बीते शुक्रवार यानि 24 जनवरी को ममता कुलकर्णी ने उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ 2025 में अपना पिंडदान किया था और सन्यास अपना लिया था। इसके बाद भव्य पट्टाभिषेक कार्यक्रम में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की पहल पर उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था। उनका नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया था। वो सात दिनों तक महाकुंभ में रहीं, लेकिन तब से ही इसको लेकर विवाद जारी था कि एक स्त्री को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया है ? और इसके साथ ही किन्नर अखाड़े में बड़ी कलह शुरू हो गई थी।


अखाड़ा के बंटवारा की आशंका


निष्कासन की इस कार्यवाही पर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने भी प्रतिक्रिया देते हुये इस कार्यवाही को अनुचित बताया है। त्रिपाणी ने कहा कि अजय दास को किन्नर अखाड़े से पहले ही निकाला जा चुका है , वह किस हैसियत से कार्रवाई कर सकते हैं। किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास और आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के बीच खुला टकराव देखने को मिल रहा है। अजय दास की ओर से डॉ. त्रिपाठी को हटाये जाने का दावा किया गया है। वहीं डॉ. त्रिपाठी द्वारा अजय दास के किसी पद पर नहीं होने की बात कही जा रही हैं। आज दोपहर अखाड़े की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी , जिसमें इस विवाद को लेकर बड़ा ऐलान किया जायेगा। किन्नर अखाड़े में क्या बंटवारा हो जायेगा ? या इसमें कौन रहेगा और कौन हटाया जायेगा ? इस विवाद के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर किसी नये चेहरे की नियुक्ति होगी ? किन्नर अखाड़े में गुटबाजी बढ़ती नजर आ रही है। एक तरफ अजय दास खुद को संस्थापक बता रहे हैं , तो दूसरी ओर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अपनी पकड़ बनाये हुये हैं।

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