श्रीअंबादेवी मंदिर सिर्फ पूजा -अर्चना का स्थान ही नहीं है,बल्कि आस्था एवं दिव्यता का केंद्र है ।
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। अमरावती-श्री अंबादेवी मंदिर शहर के हृदय स्थल गांधी चौक पर स्थित है। यह प्रआ मंदिर है और पुराने गजेटियर में इसका उल्लेख मिलता है। इस मंदिर में भारत के विभिन्न भागों से सभी वर्ग के लोग आते हैं। दशहरा उत्सव से ठीक पहले पड़ने वाला नवरात्रि महोत्सव लोगों और मंदिर प्राधिकारियों द्वारा उल्लास और सद्भाव के साथ मनाया जाता है। इन नौ दिनों के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर बड़ा मेला लगता है जिसमें सभी वर्ग के लोग समान उत्साह के साथ आते हैं। आसपास के विभिन्न होटलों में ठहरने की पर्याप्त अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
कैसे पहुँचें – यह अमरावती रेलवे स्टेशन से पश्चिम की ओर 1 किमी और अमरावती बस स्टैंड से 1.5 किमी दूर है। अमरावती रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से पर्याप्त संख्या में स्थानीय वाहन और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। वाहन और टैक्सियाँ बडनेरा रेलवे स्टेशन (मुंबई – कलकत्ता रेल मार्ग पर) से भी उपलब्ध हैं।
विदर्भ के राजा भीष्मक की बेटी रुक्मिणी कृष्ण के साहस की कहानियाँ सुनती है। वह उनसे प्यार करने लगती है। उसका भाई रुक्मिय, रुक्मिणी की शादी अपने मित्र चेदि के राजा शिशुपाल से तय करता है।
रुक्मिणी गुप्त रूप से कृष्ण को एक संदेश भेजती है, और साथ में वे भागने की योजना बनाते हैं। शिशुपाल से शादी से एक दिन पहले, रुक्मिणी देवी एकवीरा के मंदिर जाती है। (यह अमरावती, महाराष्ट्र में है) कृष्ण यहाँ रुक्मिणी का अपहरण करते हैं। अन्य यादवों की मदद से, कृष्ण रुक्मिणी के भाई रुक्मिय को हरा देते हैं। बाद में राजा भीष्मक विवाह समारोह की व्यवस्था करते हैं।
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