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Monday, October 27, 2025

विद्यालय का शैक्षणिक भ्रमण : बच्चों में उमंग और सीख का संगम

 विद्यालय का शैक्षणिक भ्रमण : बच्चों में उमंग और सीख का संगम



कुंजराम यादव बसना रिपोर्टर 


महासमुंद/बसना सरायपाली :- शासकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सिरबोड़ा के पालक, शिक्षक एवं विद्यार्थियों के लिए शनिवार का दिन अत्यंत विशेष और यादगार रहा। विद्यालय परिवार ने मिलकर एक दिवसीय पिकनिक सह शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया, जिसमें बच्चों ने मैत्री बाग भिलाई तथा रायपुर के विभिन्न स्थलों का भ्रमण किया। यह यात्रा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं रही, बल्कि ज्ञान, संस्कृति और अनुभव का अद्भुत संगम भी बनी।


यह कार्यक्रम संस्था प्रमुख श्री हीरालाल साहू के नेतृत्व में तथा विद्यालय की शाला प्रबंधन एवं विकास समिति के आग्रह पर आयोजित किया गया। इस भ्रमण का उद्देश्य बच्चों के सह संज्ञानात्मक  विकास के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता और पर्यावरण संरक्षण की भावना को उनके भीतर सजीव करना था।

पहला पड़ाव – जैन मंदिर, कुम्हारी


भ्रमण का पहला पड़ाव जैन मंदिर कुम्हारी रहा। यहां बच्चों ने आध्यात्मिकता और शांति का अनुभव किया। शिक्षक  धर्मेन्द्रनाथ राणा ने बच्चों को जैन धर्म के तीर्थंकरों तथा उनके उपदेशों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने अहिंसा, सत्य, संयम और आत्मशुद्धि जैसे मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि — “धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक श्रेष्ठ कला है।”

बच्चों ने अत्यंत ध्यानपूर्वक सभी बातें सुनीं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। यह क्षण उनके लिए न केवल धार्मिक, बल्कि नैतिक शिक्षा का भी महत्वपूर्ण अनुभव बन गया।

 दूसरा पड़ाव – मैत्री बाग, भिलाई


जैन मंदिर के दर्शन के बाद बच्चों ने स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया, जिसकी व्यवस्था भिलाई निवासी  कमल भोई एवं श्रीमती सुरेखा भोई के परिवार ने बड़े प्रेम और आत्मीयता से की।

उनके स्नेहिल स्वागत और सत्कार ने सभी का हृदय जीत लिया। बच्चों ने इस आतिथ्य को अपने जीवन की एक यादगार घटना बताया।


भोजन के पश्चात सभी मैत्री बाग भिलाई पहुंचे। यहां बच्चों को प्रत्यक्ष रूप से विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों को देखने का अवसर प्राप्त हुआ। जिन जानवरों को वे अब तक केवल पुस्तकों, समाचारों या चलचित्रों में देखते आए थे, उन्हें सामने देखकर उनकी उत्सुकता चरम पर थी।


इस दौरान शिक्षकों  महेश कुमार साहू  दिनेश कश्यप एवं  धर्मेन्द्रनाथ राणा ने बच्चों के सवालों का उत्तर देते हुए उन्हें जानवरों के स्वभाव, आदतों और संरक्षण से जुड़ी अनेक जानकारियाँ दीं। उन्होंने बताया कि जंगलों और वन्य जीवों का अस्तित्व मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है, इसलिए हमें उनके संरक्षण के लिए जागरूक रहना चाहिए।


 प्रकृति के बीच सीखने का आनंद


मैत्री बाग की हरियाली, स्वच्छ वातावरण और शांत जलाशयों ने बच्चों के मन को प्रसन्न कर दिया। वहां की सुंदरता देखकर सभी बच्चों में प्रकृति प्रेम की भावना और गहरी हो गई। इस भ्रमण से उन्होंने न केवल जानवरों के व्यवहार को समझा बल्कि यह भी जाना कि प्रकृति हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।


 आभार और प्रेरणा के क्षण


इस यात्रा को सफल बनाने में विद्यालय परिवार के अनेक लोगों का सहयोग रहा। विशेष रूप से सेवानिवृत्त शिक्षक नलसाय सिदार जी का योगदान उल्लेखनीय रहा, जिन्होंने इस भ्रमण के लिए बस का पूरा खर्च वहन किया। उनके इस योगदान से सभी बच्चे और शिक्षक अभिभूत हो गए।

इसके अलावा भिलाई निवासी कमल भोई और सुरेखा भोई ने न केवल भोजन की व्यवस्था की बल्कि मैत्री बाग में भी बच्चों को मार्गदर्शन प्रदान किया। उनके इस सेवा भाव की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है।

सांस्कृतिक प्रस्तुति ने मोहा सबका मन


भ्रमण का एक विशेष आकर्षण था — बच्चों द्वारा प्रस्तुत सुआ नृत्य। मैत्री बाग के प्रवेश द्वार के सामने जब विद्यालय की बालिकाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में छत्तीसगढ़ी सुआ नृत्य प्रस्तुत किया, तो वहाँ उपस्थित सभी लोग मंत्रमुग्ध हो गए। तालियों की गड़गड़ाहट से वातावरण गूंज उठा। यह प्रस्तुति बच्चों की प्रतिभा, अनुशासन और सांस्कृतिक समझ का सुंदर उदाहरण थी।

 पालक-शिक्षक और छात्रों की प्रतिक्रिया


विद्यालय की शाला नायक कु. नीता भोई सहित कु. श्वेता कैवर्त, कु. पलक, कु. चेतना, कु. डिंपल एवं अन्य विद्यार्थियों ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यह भ्रमण उनके जीवन का अविस्मरणीय अनुभव रहा। उन्हें बहुत कुछ नया सीखने और देखने को मिला।

सभी ने विद्यालय प्रबंधन समिति एवं अपने शिक्षकों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की।


शाला प्रबंधन एवं विकास समिति अध्यक्ष अभिमन्यु नौरोजी भी पूरे समय बच्चों के साथ रहे। वे समय-समय पर विद्यालय में बच्चों को प्रेरित करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि – “इस प्रकार के भ्रमण बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि कक्षा से बाहर भी जीवन की अनेक सीखें मिलती हैं।”


 समापन और शुभकामनाएं


भ्रमण के अंत में सभी शिक्षकगण, पालक और बच्चे सामूहिक रूप से यात्रा की सफलता के लिए प्रसन्न थे।

संस्था प्रमुख हीरालाल साहू ने सभी सहयोगियों को धन्यवाद देते हुए कहा —

“इस भ्रमण ने बच्चों के मन में सीखने की जिज्ञासा, संस्कार और संस्कृति के प्रति सम्मान को और गहरा किया है। भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम विद्यालय परिवार द्वारा निरंतर आयोजित किए जाएंगे।”


भ्रमण के साथ बच्चों ने न केवल आनंद पाया बल्कि जीवन, प्रकृति और समाज के प्रति एक नई दृष्टि भी विकसित की। यह यात्रा वास्तव में ‘सीख के साथ सैर’ का प्रेरणादायी उदाहरण रही।

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