तरेकेला आश्रम की भूमि पर विवाद
कुंजराम यादव बसना रिपोर्टर
बसना विधानसभा क्षेत्र के ग्राम तरेकेला स्थित कबीर तरेकेला आश्रम की भूमि को लेकर इस समय बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आश्रम के दानदाता परिवार, स्थानीय ग्रामीणों और आश्रम समर्थकों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वर्ष 1929 में आश्रम के लिए दान की गई भूमि को धोखाधड़ीपूर्वक किसी अन्य व्यक्ति—गोपाल दास—के नाम दर्ज करा लिया गया है।फर्जी दस्तावेज़ों का आरोप दानदाता परिवार का कहना है कि भूमि को हस्तांतरित करने के लिए प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ संदिग्ध हैं और उनमें कई महत्वपूर्ण विसंगतियाँ पाई गई हैं।खास तौर पर पिता के नाम में विरोधाभास भूमि दान के ऐतिहासिक रिकॉर्ड से मेल न खाना, और पुराने अभिलेखों को नजरअंदाज़ करना—इन बिंदुओं को लेकर समर्थकों ने राजस्व विभाग से संदेह जताया है।आश्रम प्रबंधन की प्रतिक्रिया
आश्रम के महंत लखन मुनि दास ने इस पूरे प्रकरण को “आस्था पर सीधा हमला” बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि आश्रम की प्रतिष्ठा और धार्मिक गतिविधियों को कमजोर करने के उद्देश्य से यह साजिश रची गई है। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है, साथ ही भूमि को पुनः आश्रम के नाम बहाल करने की अपील की है।
विवाद के बीच यह भी उल्लेखनीय है कि आश्रम में 5 फरवरी 2026 से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन प्रस्तावित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भूमि विवाद के कारण धार्मिक आयोजन की तैयारियों पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए प्रशासन को जल्द कार्रवाई कर विवाद को सुलझाना चाहिए।ग्रामीणों का मानना है कि लगभग एक सदी पुरानी इस दान भूमि पर आश्रम की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियाँ लगातार चलती रही हैं। ऐसे में नए नामांतरण को लेकर अचानक सामने आया विवाद लोगों में भ्रम और नाराज़गी पैदा कर रहा है। वे चाहते हैं कि सरकारी अभिलेखों की गहन जांच हो और सत्य सामने आए।


















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