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Sunday, December 14, 2025

आद्याशक्ति को समर्पित माँ श्यामा गौरव ग्रंथ का प्रकाशन होगा। यह निर्णय शुक्रवार को नगर के गणमान्य श्यामा भक्तों की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया।

दरभंगा बिहार।



दरभंगा : आद्याशक्ति को समर्पित माँ श्यामा गौरव ग्रंथ का प्रकाशन होगा। यह निर्णय शुक्रवार को नगर के गणमान्य श्यामा भक्तों की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। स्थानीय लक्ष्मीश्वर‌ पब्लिक लाइब्रेरी परिसर में‌ समाज के विभिन्न क्षेत्रों से समवेत लोगों ने प्रो.जयशंकर झा को मां श्यामा गौरव ग्रंथ प्रकाशन समिति का सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना।‌ 




वहीं डॉ. अमलेन्दु शेखर पाठक को प्रधान संपादक का दायित्व सौंपा गया।  पुस्तक प्रकाशन पर विमर्श करते हुए डॉ.संतोष कुमार पासवान सह-संपादक मनोनीत किए गए। संपूर्ण आयोजन को पूर्णाहुति तक पहुंचाने का जिम्मा उज्जवल कुमार को संयोजक के रूप में सौंपा गया। अमेरिका से आईं माला झा की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में तय हुआ कि डॉ.आर.एन.चौरसिया मीडिया प्रभारी का दायित्व संभालेंगे। संयोजक उज्ज्वल कुमार ने संचालन करते हुए जानकारी दी कि पूर्व मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ.प्रभाकर पाठक,संदीप विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. समीर कुमार वर्मा, शिक्षाविद डॉ.संत कुमार चौधरी, बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती निशा झा ने समिति में संरक्षक के तौर पर मार्गदर्शन करने के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी है। 

     इस मौके पर विद्वतजनों ने ग्रंथ प्रकाशन को लेकर अपने विचार भी रखे। समिति के अध्यक्ष प्रो.जयशंकर झा ने इस मौके पर कहा कि भगवती श्याम आद्याशक्ति हैं और प्रकाशित होने वाला ग्रंथ मिथिला के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक पुनर्जागरण का सशक्त माध्यम बनेगा। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों के आलेख से सुसज्जित करने का सुझाव रखा। साथ ही कहा कि सभी 51 शक्तिपीठों के साथ अन्य महत्वपूर्ण देवी-देवताओं पर केंद्रित रचनाओं का आलेख इसमें संकलित किया जाए, ताकि यह संग्रहणीय बन सके और दरभंगा के सांस्कृतिक दर्पण के रूप में इसकी ख्याति बने। इस अवसर पर विषय प्रवेश करते हुए डॉ.मित्रनाथ झा ने मिथिला में तांत्रिक परंपरा के महत्व पर प्रकाश डाला और अंग्रेज बैरिस्टर सर जॉन उड्रफ के श्याम भक्त होने तथा महाराज रामेश्वर सिंह से अंतरंगता का जिक्र करते हुए ग्रंथ को ऐतिहासिक एवं गुणवत्तापूर्ण बनाने का विचार रखा। उन्होंने मां श्यामा को समर्पित वंदना का गायन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ.एडीएन सिंह ने ग्रंथ के लिए उम्दा चित्रावली के संकलन एवं प्रस्तुति में अपना सहयोग प्रदान करने का वचन दिया। शिक्षाविद डॉ.शिवकिशोर राय ने सुझाव रखा कि श्यामा मंदिर परिसर के समस्त देवी-देवताओं को प्रकाशित होने वाले ग्रंथ में यथोचित स्थान प्रदान किया जाए। साथ ही नेट पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने का विचार भी उन्होंने रखा। ग्रंथ के प्रकाशन में तन मन धन से सहयोग करने की बात कही। मौके पर दरभंगा अभियंत्रण महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ.संदीप तिवारी ने सुझाव दिया कि श्यामा माई से संबंधित महत्वपूर्ण साक्षात्कारों का भी इसमें समावेश किया जाए। इस अवसर पर सेवानिवृत आइएएस शिवजी चौपाल ने कहा की प्रो.जयशंकर झा की परिकल्पना को साकार करने में वह हर कदम पर साथ होंगे। डॉ.अशोक कुमार सिंह ने देश-विदेश के विद्वानों को इससे संबद्ध करने का विचार दिया। डॉ.संजीत कुमार झा सरस ने कहा कि ग्रंथ की रचनाएं प्रमाणिक हों ताकि वह भविष्य में अनुसंधान का मार्ग भी प्रशस्त कर सके। सिंगापुर से पधारे अंजनी कुमार चौधरी ने कहा कि मां श्याम के चरित को विश्वस्तरीय विस्तार देने के उद्देश्य से भी कार्य अपेक्षित है। डॉ.आरबी खेतान, प्रकाश चंद्र झा,अशोक नायक ने कहा कि प्रो.जयशंकर झा के इस सारस्वत महायज्ञ में सभी प्रस्तुत हैं और आगे भी रहेंगे। वहीं प्रो.भक्तिनाथ झा ने कहा कि भगवती श्याम ही नित्य हैं, शेष सभी क्षणभंगुर है। प्रो.जयशंकर झा ने जो योजना बनाई है उसमें वह एक सशक्त सहभागी के रूप में मदद करने को प्रस्तुत हैं। डॉ.संतोष कुमार पासवान,डॉ.अशोक कुमार सिंह, ललन झा,विनोदानंद झा आदि ने भी विचार रखे। फिल्म निर्माता संजय सुधाकर ने लघु फिल्म बनाने की घोषणा की। डॉ.अमलेन्दु शेखर पाठक ने प्रधान संपादक चुने जाने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह ग्रंथ आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मानक होगा। मां श्यामा के आशीर्वाद से अपनी सारी ऊर्जा लगाकर हम सभी इसे उम्दा बनायेंगे और  सफलता के मुकाम तक पहुंचायेंगे। संयोजक उज्जवल कुमार ने कहा कि मां श्यामा एवं गुरुदेव प्रो. जयशंकर झा की कृपा से अपने गुरुत्तर दायित्व का निर्वहन करने में सफल होंगे। लाइब्रेरी के सचिव तरुण कुमार मिश्र के आभार से संपन्न बैठक में समाजसेवी विपिन पाठक, राधारमण झा,रंजीत कुमार,प्रमोद साह,तुलसीकांत झा,तनुजा चौधरी, राहुल राजवर्धन आदि की सक्रिय‌ सहभागिता रही।

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