🌞ll~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक - 12 जुलाई 2022
🌤️ दिन - मंगलवार
🌤️ विक्रम संवत - 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन - दक्षिणायन
🌤️ ऋतु - वर्षा ऋतु
🌤️ मास -आषाढ़
🌤️ पक्ष - शुक्ल
🌤️ तिथि - त्रयोदशी सुबह 07:46 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
🌤️ नक्षत्र - मूल 13 जुलाई रात्रि 02:21 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
🌤️ योग - ब्रह्म शाम 04:59 तक तत्पश्चात इन्द्र
🌤️ राहुकाल - शाम 04:04 से शाम 05:44 तक
🌞 सूर्योदय - 05:28
🌦️ सूर्यास्त - 06:22
👉 दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण - चतुर्दशी क्षय तिथि
🔥 विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 अद्भूत विद्वत्ता प्राप्ति योग 🌷
👉🏻 विद्यालाभ के लिए मंत्र
🙏🏻 ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिव्हाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नम: स्वाहा |’
➡ यह मंत्र 13 जुलाई 2022 रात्रि 11:18 से रात्रि 11:45 बजे के वीच 108 बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद उसी दिन रात्रि 11:30 से 12 के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें |
😛 जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अदभुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी |
🌷 गुरु का मानस-पूजन कैसे करें गुरु पूर्णिमा पर 🌷
🙏🏻 गुरुपूनम की सुबह उठें । नहा-धोकर थोडा-बहुत धूप, प्राणायाम आदि करके श्रीगुरुगीता का पाठ कर लें ।
🌷 फिर इस प्रकार मानसिक पूजन करें 🌷
🙏🏻 ‘मेरे गुरुदेव ! मन-ही-मन, मानसिक रूप से मैं आपको सप्ततीर्थों के जल से स्नान करा रहा हूँ । मेरे नाथ ! स्वच्छ वस्त्रों से आपका चिन्मय वपु (चिन्मय शरीर) पोंछ रहा हूँ । शुद्ध वस्त्र पहनाकर मैं आपको मन से ही तिलक करता हूँ, स्वीकार कीजिये । मोगरा और गुलाब के पुष्पों की दो मालाएँ आपके वक्षस्थल में सुशोभित करता हूँ ।
🙏🏻 आपने तो हृदयकमल विकसित करके उसकी सुवास हमारे हृदय तक पहुँचायी है लेकिन हम यह पुष्पों की सुवास आपके पावन तन तक पहुँचाते हैं, वह भी मनसे, इसे स्वीकार कीजिये । साष्टांग दंडवत् प्रणाम करके हमारा अहं आपके श्रीचरणों में धरते हैं ।
🙏🏻 हे मेरे गुरुदेव ! आज से मेरी देह, मेरा मन, मेरा जीवन मैं आपके दैवी कार्य के निमित्त पूरा नहीं तो हररोज २ घंटा, ५ घंटा अर्पण करता हूँ, आप स्वीकार करना । भक्ति, निष्ठा और अपनी अनुभूति का दान देनेवाले देव ! बिना माँगे कोहिनूर का भी कोहिनूर आत्मप्रकाश देनेवाले हे मेरे परम हितैषी ! आपकी जय-जयकार हो ।’
🙏🏻 इस प्रकार पूजन तब तक बार-बार करते रहें जब तक आपका पूजन गुरु तक, परमात्मा तक नहीं पहुँचे । और पूजन पहुँचने का एहसास होगा, अष्टसात्त्विक भावों (स्तम्भ १ , स्वेद २ , रोमांच, स्वरभंग, कम्प, वैवण्र्य ३ , अश्रु, प्रलय ४ ) में से कोई-न-कोई भाव भगवत्कृपा, गुरुकृपा से आपके हृदय में प्रकट होगा ।
🙏🏻 इस प्रकार गुरुपूर्णिमा का फायदा लेने की मैं आपको सलाह देता हूँ । इसका आपको विशेष लाभ होगा, अनंत गुना लाभ होगा ।
🌞 ~ पंचांग ~ 🌞
🙏🏻🌷🌻☘🌸🌹🌼🌺💐🙏🏻
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