श्रावण विशेष
सावन महीने में कांवड़ यात्रा की धूम रहती है , सावन महीने में कांवड़ यात्रा का महत्व
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी।
वेद पुराणों के अनुसार आदि सतयुग में समुद्र मंथन के दौरान जब कालकूट नामक हलाहल विष निकला था तो महादेव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विष का पान कर लिया था..
लेकिन, विष के प्रभाव से उनके शरीर में अत्यधिक जलन होने लगी, जिसे शांत करने के लिए सभी देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया और,
यह घटना सावन मास में ही हुई थी..इसीलिए, सावन महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है जिसे रुद्राभिषेक कहा जाता है।
इसके अलावा जब गिरिजा अर्थात हिमालय पुत्री माता पार्वती ने महादेव को अपने पति के रूप में पाने हेतु कठोर तप किया था तो महादेव ने सावन महीने के सोमवार के दिन ही उन्हें दर्शन दिया था और माता पार्वती की मनोकामना पूर्ण हुई थी.
इसीलिए, महिलाएँ एवं कन्याएँ मनोवांछित वर पाने हेतु एवं अपने पति की लंबी आयु हेतु सावन के सोमवार को व्रत रखती हैं एवं शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं.।
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